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कवर्धा

बच्चों के बचपन में ही बढ़ रही बुढ़ापे जैसी बीमारियां, यहां देखिए उनके कारण और बचाव

बच्चों पर प्रदूषण और केमिकल का इतना अधिक प्रभाव पड़ रहा है कि बचपन में ही बुढ़ापे की बीमारी मिली रही है।

कवर्धाJan 15, 2019 / 02:36 pm

Deepak Sahu

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बच्चों के बचपन में ही बढ़ रही बुढ़ापे जैसी बीमारियां, यहां देखिए उनके कारण और बचाव

कवर्धा. बच्चों पर प्रदूषण और केमिकल का इतना अधिक प्रभाव पड़ रहा है कि बचपन में ही बुढ़ापे की बीमारी मिली रही है। बच्चे दृष्टिदोष के शिकार हो रहे हैं। इस वर्ष ही 351 स्कूल के 17 हजार बच्चों की जांच की गई, जिसमें 3.58 फीसदी बच्चे दृष्टिदोष से पीडि़त मिले। यह आंकड़े काफी गंभीर स्थिति को दर्शा रहे हैं।

राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल के विद्यार्थियों की आंखों की जांच की जाती है। इस वर्ष भी 351 स्कूल के 17 हजार 677 छात्र-छात्राओं के आंखों की जांच की गई। इसमें 630 विद्यार्थी दृष्टिदोष से ग्रसित पाए गए। अधिकतर विद्यार्थियों को दूर दृष्टिदोष की समस्या है। अमूमन बच्चों को ज्यादा दूर की चीजे नहीं दिखाई देती। यह गंभीर समस्या है, जो लगातार बढ़ती जा रही है। कम उम्र में ही यदि आंखों की समस्या होने लगी, तो आगे चलकर यह और भी गंभीर रूप ले सकती है। यह समस्या केवल शहर के स्कूल नहीं, बल्कि गांवों में भी बढ़ती जा रही है।

साल दर साल बढ़ रहे दृष्टिदोष बच्चे…

वर्ष स्कूल विद्यार्थी दृष्टिदोष चश्मा दिए
2014-1522518816728
2015-1620522152792
2016-1720025000725056
2017-1815316074489120
2018-1935118677630528

लगातार बढ़ रही संख्या

तीन वर्ष पूर्व 58751 बच्चों की जांच की गई है, जिसमें 1844 मतलब 1.74 फीसदी दृष्टिदोष से ग्रसित पाए गए। जबकि वर्ष 2015 में जांच के दौरान यह आंकड़े 3.58 प्रतिशत पहुंच गया था। पांच वर्ष में अब तक 3364 छात्र-छात्राओं में दृष्टिदोष की समस्या पायी गई। जबकि यह केवल शासकीय स्कूल के बच्चे हैं। जो जांच में पता चला है, जबकि पढ़ाई नहीं करने वाले बच्चों की जानकारी ही नहीं हो पाती है।

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