इसी बात को ध्यान में रखते हुए विभाग की तैयारी है कि पिपरियाकला के जंगल में बाघिन के मूवमेंट वाले स्थान पर केज (लोहे की तार की जाली से घिरा एक बाड़ा) बनाकर वनकर्मियों के आब्जर्वेशन में शावक को रखा जाए। अगर शावक को बाघिन मां से खतरा नहीं है तो उसी के पास छोड़ दिया जाए और खतरा होने पर टाइगर रिजर्व के इंक्लोजर में भेज दिया जाए। इस संबंध में चीफ वाइल्ड लाइन वार्डन से अनुमति मांगी गई है। शावक को केज में रखने की अनुमति मिलती है तो सामान्य वनक्षेत्र में होने वाला यह देश का पहला प्रयोग होगा।
बाघ शावक गिरा कुएं में, देखने उमड़ी ग्रामीणों की भीड़
वन विभाग कटनी के डीएफओ आरके राय बताते हैं कि बाघ के शावक अगर किसी इंसान के संपर्क में आए जाएं तो बाघिन मां उसे स्वीकार नहीं करती। बाघों के इसी व्यवहार को ध्यान में रखकर पिपरियाकला में शावक को केज में रखने की अनुमति मांगी है।
ग्रामीणों ने 13 अगस्त की सुबह कुएं में शावक को देखा और अफसरों को सूचना दी। शाम तक उसे कुएं से निकालकर मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी जू सेंटर भेजा गया। बरही रेंजर शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि शावक वहां अब पूरी तरह स्वस्थ है।
एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ भोपाल जेएस चौहान का कहना है कि कटनी जिले के बरही रेंज में कुएं में गिरकर मां से अलग हुए शावक को केज बनाकर मां से मिलाने का प्रस्ताव आया है। एनटीसीए की गाइडलाइन चेक कर रहे हैं। चर्चा चल रही है, टीम जल्द निर्णय लेगी।