1991 बैच के आइएएस अशोक खेमका ने 7 जून 2017 को वर्ष 2016-17 के लिए अप्रेजल भरा था, जिसमें मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने उन्हें दस में से 8.22 नंबर दिए। इसके बाद 27 जून को खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उन्हें दस में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने तीन साल में 20 से अधिक आइएएस अफसरों के साथ काम किया, लेकिन कोई भी अधिकारी खेमका के करीब नहीं था। खेमका की योग्यता, सच्चाई, ईमानदारी और बुद्धिमत्ता का कोई सानी नहीं। इसके बाद 31 दिसंबर 2017 को खेमका की अप्रेजल रिपोर्ट मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास पहुंची। सीएम ने विज के तर्कों से असहमति जताते हुए खेमका के नंबर काट दिए और उन्हें दस में से नौ अंक दिए। साथ ही उन्होंने लिखा कि खेमका पर विज की रिपोर्ट थोड़ी अतिरंजित (बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन) है।
दरअसल एसीआर में दस में से नौ अंक होने के बावजूद सीएम की टिप्पणी से खेमका की केंद्र में अतिरिक्त सचिव के रूप में पदोन्नति प्रभावित हो सकती है। एक बैच से केवल 20 फीसद आइएएस अफसरों को उच्च स्तर के लिए प्रमोट किया जाता है और मुख्यमंत्री की टिप्पणी खेमका के खिलाफ काम करेगी। पदोन्नति प्रभावित होती देख पहले खेमका ने कैट में अर्जी लगाई और वहां बात न बनने पर हाई कोर्ट में याचिका लगाते हुए अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट से सीएम की टिप्पणी हटाने और विज द्वारा दिए 9.92 नंबर बहाल कराने की मांग की है।