डोरसे के खिलाफ एक समुदाय की भावनाएं आहत करने को लेकर जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के बासनी पुलिस थाने में मामला दर्ज है। न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की एकलपीठ में इसी मामले में एक अन्य आरोपी अन्ना एमएम विटीकार ने भी एफआईआर रद्द करने को लेकर याचिका दायर की है।
प्रारंभिक जांच में सामने आया था कि एक महिला अन्ना एमएम विटीकार के ट्विटर हैंडल से कथित विवादित पोस्ट की गई थी, जिस पर अग्रिम अनुसंधान किया जा रहा है। वहीं, परिवादी की ओर से अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने भी एक याचिका दायर करते हुए निष्पक्ष अनुसंधान की मांग की है। डोरसे के अधिवक्ता मुक्तेश माहेश्वरी ने बताया कि 21 अगस्त तक गिरफ्तारी पर रोक का पूर्ववर्ती आदेश प्रभावी रहेगा। गौरतलब है कि बासनी पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी में डोरसे पर ब्राहमण समाज की कथित मानहानि का आरोप लगाया गया है।
डोरसे ने प्राथमिकी रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। डोरसे की ओर से कोर्ट और पुलिस को बताया गया कि भारत यात्रा के दौरान, डोरसे ने पिछले साल 13 नवंबर को कुछ प्रमुख महिलाओं के साथ ट्विटर प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के अनुभव साझा करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया था। बैठक के अंत में कमरे में किसी ने एक ग्रुप फोटो के लिए बुलाया। एक दलित कार्यकर्ता ने एक पोस्टर डोरसे को दिया, जिस पर कथित विवादित टिप्पणी अंकित थी। डोरसे के बचाव में कहा गया कि वह पोस्टर पर अंकित वाक्य का कोई अर्थ नहीं जानता था और न ही उसका मंतव्य किसी वर्ग विशेष पर कोई टिप्पणी करने का था।
अगले दिन 14 नवंबर को बैठक की एक महिला प्रतिभागी ने ग्रुप फोटो मांगा, जिसे कंपनी के कर्मचारियों ने उसके व्यक्तिगत रिकॉर्ड के लिए साझा किया। एक अन्य प्रतिभागी अन्ना एमएम विटीकार ने अपने ट्विटर हैंडल पर उस तस्वीर को पोस्ट किया। पुलिस अब विटीकार की भूमिका की भी जांच कर रही है।