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झांसी

Ganesh Chatruthi पर 58 साल बाद बन रहे कई संयोग, भूलकर भी न करें ये काम

Ganesh Chaturthi 2017 पर घर-घर विराजेंगे गजानन और पंडालों में होगी धूम। 25 अगस्त को गणेशोत्सव पर होगी भगवान गणेश की स्थापना

झांसीAug 24, 2017 / 02:00 pm

नितिन श्रीवास्तव

Ganesh Chaturthi 2017 puja vidhi sthapana shubh muhurt vrat katha time latest udate in hindi

गणेश चतुर्थी पर 58 साल बाद बन रहे कई संयोग, भूलकर भी न करें ये काम

झांसी. 25 अगस्त को शुभ, लाभ और समृद्धि के दाता गौरी पुत्र गणेश का महोत्सव प्रारंभ होगा। वैसे तो यह दिन अत्यंत शुभ है और हर राशि के लिए लाभदायक है, लेकिन एक कार्य ऐसा भी है जिसके करने से असर उलटा भी पड़ सकता है।
चांद न देखें, लग सकता है ये कलंक

Ganesh Chaturthi इस बार अपार खुशियां लेकर आ रही है। इस दिन 58 साल बाद कई विशेष संयोग भी बन रहे हैं। जिसकी वजह से गणेश चतुर्थी और अधिक खास हो गई है। वहीं इसके प्रभाव से शनिदेव का भी असर सभी राशियों पर रहेगा। बस इस दिन चांद न देखें। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी पर चांद देखने से चोरी का झूठा आरोप या कलंक लगने का डर रहता है। वैसे तो सभी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चांद देखने की मनाही है लेकिन, खास तौर पर भाद्र शुक्ल चतुर्थी को इसे देखना बिल्कुल वर्जित रहता है। गणेश चतुर्थी से शनि सीधी चाल चलेंगे। इससे शनि का प्रकोप कम होगा। जो भक्त गणेश को अपने घर लाकर पूजा, अर्चना करेगा। उस पर वर्षभर गणेश की कृपा बनी रहेगी। न्यायाधिपति शनिदेव 25 अगस्त की शाम 5 बजकर 19 मिनट पर वृश्चिक राशि में मार्गी हो रहे हैं। इस बार 58 साल बाद शनि की मार्गी में गणेश जी विराजेंगे। शनि के मार्गी होने से सभी राशियों में बेहतर प्रभाव देखने को मिलेगा। गणेश स्थापना के समय शनि के मार्गी होने की शुभ घड़ी वर्ष 1959 में बनी थी। गणेश जी की उपासना करने वालों से शनिदेव हमेशा प्रसन्न रहते हैं। गणेशोत्सव के कारण बाजार भी गुलजार हो गए हैं। जगह-जगह गजानन की हर साइज और आकृति की मूर्तियां मिलने लगी हैं।
प्रचलित है ये कहानी

Ganesh Chaturthi 2017 का यह शुभ त्योहार महाराष्ट्र, गोवा, केरल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में काफी जोश के साथ मनाया जाता है। इतना ही नहीं, इस त्योहार के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हैं। इनमें से उनकी माता पार्वती और भगवान शिव के साथ जुड़ी उनकी कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से भगवान गणेश का निर्माण किया था। एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थी और उन्होंने गणेश को आदेश दिया जब तक वह स्नान करके न लौट आएं तब तक वह दरवाजे पर पहरा दें। तभी भगवान शिव वहां आ गए और गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका। भगवान गणेश और शिव के बीच इस बात को लेकर काफी विवाद हुआ और क्रोध में आकर भगवान शिव ने उनका सिर काट दिया। यह दृश्य देखकर माता पार्वती बेहद क्रोधित होती है जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को वचन दिया कि वह गणेश को नया जीवन देंगे। इस घटना के बाद भगवान शिव ने अपने साथियों को एक सिर ढूंढने के लिए भेजा उन लोगों ने एक हाथी का सिर लाकर उन्हें दिया। भगवान शिव ने वह हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोडक़र उन्हें नया जीवन दिया जिसके बाद भगवान गणेश को गजानन कहकर पुकारा जाने लगा।
प्रसाद में ये चीजें कहते हैं पसंद

भगवान गणेश खाने के बेहद शौकीन है। उन्हें कई तरह की मिठाईयां जैसे मोदक, गुड़ और नारियल जैसी चीज़ें प्रसाद या भोग में चढ़ाई जाती हैं। गणेश जी को मोदक काफी पंसद हैं। इन्हें चावल के आटे, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है। इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है।

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