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ब्राह्मण द्वारा बनाई मजार बनी सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, यहाँ सभी धर्मो के लोगों की जुडी है आस्था

locationजशपुर नगरPublished: Apr 19, 2019 09:13:48 am

Submitted by:

BRIJESH YADAV

उर्स के मौके पर हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्म के लोगों की लगी रहती हैँ लाइने, चादर चढ़ाने पहुँचते हैं लोग

Unique story of chhattisgarh:Giving people the example of unity

ब्राह्मण द्वारा बनाई मजार बनी सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, यहाँ सभी धर्मो के लोगों की जुडी है आस्था

जशपुरनगर. आपसी कटूता के बढ़ते माहौल में छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पत्थलगांव स्थित एक ब्राम्हण द्वारा बनवाई गई सुलतान पीर बाबा की मजार आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सौहाद्र की मिशाल का अदभूत नमूना हैं। यहां सालाना उर्स के मौके पर सभी समुदाय के श्रद्धालुओं की भीड़ के दौरान अनेकता में एकता का नजारा देख कर लोगों का आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
पत्थलगांव के समीप ग्राम इंजकों में एक ब्राम्हण परिवार द्वारा बनाई गई बाबा सुलतान पीर की मजार पर सालाना उर्स के अवसर में सभी वर्ग के लोग श्रध्दा भक्ति के भाव से मन्नत मांगने पहुंचे। इस मजार पर सालाना उर्स के मौके पर ऐसे भी सैकड़ो लोग पहुंचते हैं जिनकी मन्नतें पूरी होने के बाद वे खुशी के साथ अपने परिवार सहित बाबा की मजार पर चादर चढ़ाने वालों की कतार में खड़े रह कर अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे।
एैसे पड़ी मजार की नींव : बाबा सुलतान पीर की मजार की स्थापना करने वाले पं नामधारी शर्मा के बड़े पुत्र अशोक शर्मा का कहना है कि अल्लाह, भगवान और प्रभु को अलग अलग नामों से पुकारा जाने वाला ईश्वर एक है। गीता शर्मा के गले में हुए कैंसर का इलाज कराने में इस मध्यम वर्गीय परिवार ने अपनी सारी कमाई दवा और डाक्टरों की फीस में झोंक डाली थी। असाध्य रोग ठीक न होने पर किसी ने उन्हें उनके पैतृक गांव हरियाण स्थित बरनाला जिले का नन्थला गांव में सुलतान पीर बाबा के दरबार में जाकर फरियाद करने को कहा। ऐसा करने से अशोक शर्मा की मां ठीक हो गई। इसके बाद शर्मा ने हरियाण से अपनी मन्नत की ईंट को लाकर नींव में रखा और यहां सुलतान पीर की मजार का निर्माण कराया।

सांप्रदायिक सौहाद्र के मिसाल के रूप में विख्यात : सालाना उर्स के दिन दोपहर को पीर बाबा की पूजा समाप्त होते ही मजार पर सेवा करने वाले श्रध्दालु यहां एकत्र गरीब और जरूरतमंदों को चददर बांटने में जुट जाते हैं। मजार पर एकत्रित श्रध्दालुओं को भोजन भी परोसा जाता है। सबसे दिलचस्प बात यह रहती है कि यहां पर ऊंच नीच और जाति धर्म की दीवारों से अलग हट कर पीर बाबा के भक्त भी एक ही कतार में प्रसाद ग्रहण करतें हैं। 20 वर्षो से सालाना उर्स के अवसर पर हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदाय के लोग यहां पहुंचते हैं।
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