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जयपुर

कॉम्पिटिशन एग्जाम हो या बोर्ड परीक्षा रखें वास्तु का भी ध्यान

जयपुर या दिल्ली…पटना या पंजाब ही नहीं, देशभर के युवा बेरोजगार किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग्य आजमा रहे हैं।

जयपुरMar 08, 2018 / 06:19 pm

Kamlesh Sharma

exam

Secondary Education Board

राजेंद्र शर्मा/जयपुर। जयपुर या दिल्ली…पटना या पंजाब ही नहीं, देशभर के युवा बेरोजगार किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग्य आजमा रहे हैं। हजारों युवा ऐसे भी हैं, जो जॉब में हैं, लेकिन और भी बेहतर जॉब के लिए तैयारी कर रहे हैं।
प्रतियोगी परीक्षा हो या बोर्ड की, सफलता पाने के लिए जहां परिश्रम आवश्यक है, वहीं कुछ वास्तु उपाय भी हैं, जिनकी पालना करने से सफलता में सहायक होते हैं, साथ ही इनको अपनाने से आत्मविश्वास भी प्रबल होता है।
फिलहाल, सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान और विश्वविद्यालय की परीक्षाएं भी सिर पर हैं। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की 10वीं की परीक्षा जहां 15 मार्च से शुरू होगी, वहीं 12वीं कक्षा की परीक्षा 8 मार्च से शुरू हो चुकी है। यह भी एक परंपरा है कि राजस्थान बोर्ड के एग्जाम हमेशा गुरुवार से शुरू होते हैं। इस बाद जहां 8 मार्च और 15 मार्च को भी गुरुवार ही है।
प्रत्येक अभ्यर्थी और अभिभावक परीक्षा में सफलता ही नहीं, बल्कि उच्च अंकों की प्राप्ति के लिए भी आश्वस्त होना चाहता है। इसके लिए नियमित अध्ययन तो जरूरी है ही, साथ ही यदि वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों का भी अनुकरण किया जाए, तो अभीष्ट की प्राप्ति और निश्चित होती है। वैसे तो प्रत्येक घर में अध्ययन कक्ष और उसके भीतर का वास्तु इस तरह रखना चाहिए कि अध्ययन निर्बाध हो और सफलता सुनिश्चित हो, परीक्षा के दिनों में तो इसका और अधिक खयाल रखना चाहिए। यहां बताए जा रहे हैं वास्तुशास्त्र के ऐसे सिद्धान्त, जो परीक्षार्थियों के लिए सुफलदायक रहते हैं।
वास्तु उपाय
1. अध्ययन कक्ष पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए, क्यों कि इससे अध्ययन में स्थायित्व रहता है यानी जो पढ़ा जाए याद रहता है और नियमितता बनी रहती है।

2. पढ़ते समय मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए। इससे अध्ययन बाधित नहीं होता और सूर्यदेव की कृपा से अच्छे अंक प्राप्त होते हैं।
3. पढऩे की मेज कभी कमरे के कोने में नहीं रखनी चाहिए। इसे बीच में दीवार से कुछ दूर रखनी चाहिए।

4. पुस्तकें, नोट्स व अन्य सहायक सामग्री दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम दीवार के साथ लगी अलमारी या रैक में रखनी चाहिए। पूर्व, ईशान अथवा उत्तर दिशा में पुस्तकें नहीं रखनी चाहिए।
5. पुस्तकें इधर-उधर बिखरी एवं खुली नहीं रहनी चाहिए, अन्यथा नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। मेज पर भी आवश्यकता से अधिक पुस्तकें नहीं रखनी चाहिए।

6. मेज के सामने माता सरस्वती और श्रीगणेश की तस्वीर होनी चाहिए। इससे मन में उत्साह बना रहता है और निराशा का भाव नहीं आता।
7. अध्ययन कक्ष का दरवाजा हमेशा कोने से हटकर पूर्व, उत्तर-ईशान अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए।

8. कक्ष में प्रकाश व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। टेबल लैंप का प्रयोग फैशन बन गया है, जबकि यह उचित नहीं है। मेज पर प्रकाश हमेशा विद्यार्थी के पीछे से या ठीक ऊपर से आना चाहिए तथा केवल पुस्तक पर नहीं पडऩा चाहिए।
9. विद्यार्थी की कुर्सी के पीछे खिड़की या दरवाजा नहीं होना चाहिए। यदि हो तो उसे पर्दे से बंद रखना चाहिए।

10. विद्यार्थी के शयन की दिशा का ध्यान रखना जरूरी है। सोते समय उसका सिर दक्षिण दिशा में रहना चाहिए। इससे पृथ्वी की चुम्बकीय शक्ति का संतुलन बना रहता है।
11. यदि कक्ष में अटैच बाथरूम है, तो उसका दरवाजा हमेशा बंद रहना चाहिए। बाथरूम में मैले कपड़े बिखरे नहीं रहें, टब में रखने चाहिए, अन्यथा नकारात्मक ऊर्जा अध्ययन बाधित करती है।

12. पढऩे के कमरे का रंग हरा होना चाहिए, क्योंकि बुध ग्रह शिक्षा का कारक है और बुध का रंग हरा है।
13. कक्ष की दीवारों पर महापुरुषों के चित्र हों, इससे विद्यार्थी को आगे बढऩे की पे्ररणा मिलती है।

14. विद्यार्थी को प्रतिदिन पढऩा आरंभ करने से पूर्व ‘ ऊं श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नम:’ का पांच बार जप करना चाहिए।

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