कंपनियां मिला रही एथनॉल
शहपुरा-भिटौनी स्थित तेल कंपनियों के डिपो से पेट्रोल पंपों को भेजे जा रहे टैंकर में इसे मिलाया जा रहा है। ज्यादातर ग्राहकों को इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में आए दिन ग्राहक व सेल्समैन के बीच विवाद हो रहा है। जिले के 130 से ज्यादा पेट्रोल पंपों में मिश्रित पेट्रोल की सप्लाई हो रही है। इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन (एचपीसीएल) तो डिपो से इसे मिलाकर डीलर को इसकी सप्लाई कर रहे हैं। वहीं भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने ट्रायल के तौर पर कुछ पेट्रोल पंपों पर शुरू किया है।
प्रदूषण होता है कम
एथनॉल को ग्रीन फ्यूल भी कहा जाता है। यह पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाता है। यह गन्ने के शीरे से बनता है। पेट्रोल की तुलना में 20 फीसदी कम हाइड्रोकार्बन और कार्बनमोनोआक्साइड का उत्सर्जन करता है। प्रदेश में यह बीते कुछ माह से उपयोग में लाया जा रहा था। लेकिन जबलपुर में नवम्बर माह में इसे शुरू किया गया है। लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में विशेष जानकारी नहीं है। पेट्रोलियम कंपनियों ने केवल पंपों पर सूचना लगाई है लेकिन प्रचार माध्यमों से इसका भरपूर प्रचार नहीं किया। इससे ग्राहक परेशान हैं। उन्हें यह लग रहा है कि पेट्रोल पंपों से पेट्रोल में पानी मिलाया जा रहा है।
फैक्ट फाइल
– जबलपुर जिले में तीनों पेट्रोलियम कंपनियों के 130 से अधिक पेट्रोल पंप।
– जिले में हर माह 1 करोड़ 21 लाख 95 हजार लीटर डीजल की खपत।
– जिले में हर माह 76 लाख 83 हजार लीटर पेट्रोल की खपत।
पानी बन जाता है एथनॉल
सरकार के निर्देश पर तेल कंपनियां पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिला रही हैं। भिटौनी स्थित डिपो में इसका मिश्रण टैंकरों में किया जा रहा है। ग्राहकों को चाहिए कि वह यह सुनिश्चित कर लें कि फ्यूल टैंक में जरा भी पानी नहीं है, तभी पेट्रोल भरवाएं। क्योंकि पानी के संपर्क में आने पर एथनॉल भी पानी बन जाता है।
अश्विनी मलैया, सेल्स मैनेजर, आईओसी
अधिकारियों को लिखा पत्र
ग्राहकों को लग रहा है कि पेट्रोल में डीलर्स एथनॉल मिला रहे हैं, लेकिन यह सरकार और तेल कंपनियों की नीति है। इसमें डीलर्स का कोई रोल नहीं है। हमने इस संबंध तेल कंपनियों के अधिकारियों को पत्र लिखकर जागरुकता बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है।
अखिलेश मेहता, अध्यक्ष जबलपुर पेट्रोल डीजल डीलर वेलफेयर एसोसिएशन
खराब हो सकता है इंजन
हमारे शरीर की तरह वाहन का दिल इंजन ही होता है। हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढऩे से खून में ब्लॉकेज आने लगते हैं। इससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी ही स्थिति वाहन के साथ है। यदि पानी मिला पेट्रोल इंजन में जाता है तो इंजन को नुकसान होता है। माइलेज कम होगा। उसकी लाइफ ज्यादा नहीं रहती। बाद में चह चॉक भी हो सकता है। इसलिए इंजन में पानी न जाए इसका विशेष ख्याल रखना चाहिए। एथनॉल की कमी यह है कि यह पानी के संपर्क में आते ही पानी बन जाता है। इसलिए ग्राहक सर्विसिंग के बाद वाहन के टैंक से पानी निकलवा दें तो बेहतर होगा।
टीके आनंद, सिविल इंजीनियर