इस पर निखिल के वकील अजय उकास ने आपत्ति ली थी और कोर्ट को बताया था कि लसुडिय़ा थाने में बंशी द्वारा फरियादी निखिल के खिलाफ दर्ज करवाए गए मारपीट के झूठे केस के आधार पर ही उसका नाम गुंडा लिस्ट में घसीटा गया है, जबकि पुलिस ने जांच में साफ हो गया कि उसके खिलाफ पूर्व में मुंबई-सतना में पंजीबद्ध अधिकांश प्रकरणों में क्लीनचिट मिल गई और वर्तमान में कोई केस नहीं होने से पुलिस ने 3 अप्रैल को ही फरियादी का नाम गुंडा सुची से हटा दिया था। इसके बाद कोर्ट ने बंशी को जमानत नहीं दी थी और उसकी अर्जी इस शर्त पर विथड्रा करने की परमिशन दी कि वह 15 दिन के भीतर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करें। बंशी ने कल दोपहर में सीजेएम के समक्ष सरेंडर कर दिया। जहां पुलिस ने उसकी औपचारिक गिरफ्तारी लेकर हिरासत में ले लिया है। उसे आज कोर्ट में पेश किया जाएंगा।
बाप के कारण बेटा भी बन गया आरोपी
मजेदार बात यह है कि इस मामले में बंशीवाला ट्रेडवलिंग के मालिक के नाते बंशी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए जो कागज पेश किए थे, उनमें गुमाश्ता व नगर निगम के ट्रेड लायसेंस की कॉपी व अपने पुत्र दिनेश चौधरी के बयान पेश किए थे। इन्हीं के आधार पर पुलिस ने गत 13 जुलाई को दिनेश को भी आरोपी बना लिया है और गिरफ्तार कर अभी पुलिस रिमांड पर ले रखा है।
यह था पूरा मामला
संयोगितागंज थाने में बंशी के खिलाफ एफआईआर हुई कि वह निखिल के यहां एक लाख प्रतिमाह की तनख्वाह पर मैनेजर था। इस दौरान उसने बाले-बाले नई फर्म बंशीवाला ट्रेडवलिंग खोल ली और निखिल के साथ धोखाधड़ी कर अमानत में ख्यानत की और 53 लाख रुपए नीमा टेडिंग कंपनी में ट्रांसफर करवाकर उसके मालिक महेश सिंघल से नगद प्राप्त कर लिए।