भारतीय प्रतिनिधिमंडल जून में पहुंचा था इराक
जहां यह भितिचित्र देखी गई है, वह इलाका राक के होरेन शेखान क्षेत्र में एक संकरे मार्ग से होकर गुजरता है। बता दें कि अयोध्या शोध संस्थान के अनुरोध पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल जून में इराक गया था। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई इराक में तैनात भारत के राजदूत प्रदीप सिंह राजपुरोहित ने की थी। इस टीम में एक भारतीय राजनयिक, सुलेमानिया विश्वविद्यालय के इतिहासकार और कुर्दिस्तान के इराकी गवर्नर भी शामिल थे।
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इराक और भारत के अलग-अलग दावे
इस आकृति में मुड़ी हुई हथेलियों के साथ एक दूसरी छवि नजर आती है। इसपर जहां, अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि यह हनुमान की छवि है, तो इराकी विद्वान इसे पहाड़ी जनजाति के प्रमुख टार्डुनी का चित्र बताते हैं। योगेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपना दावा साबित करने के लिए इराक सरकार से अनुमति मांगी है। इजाजत मिलने पर ‘मिसिंग लिंक’ ढूंढकर अपनी बात साबित करने पर काम होगा।
‘राम सिर्फ कथा-कहानियों में नहीं’
योगेंद्र प्रताप सिंह ने आगे यह भी कहा कि बेलुला दर्रे में मिले भगवान राम के ये निशान इस बात का प्रमाण है कि राम सिर्फ कथा-कहानियों में नहीं हैं। आपको बता दें कि इस प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय और मेसोपोटामिया की संस्कृतियों के बीच संबंध का विस्तृत अध्ययन करने के लिए चित्रमय प्रमाण एकत्र किया है। वहीं, उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग ने इस आकृति की प्रतिकृति प्राप्त करने के लिए एक प्रस्ताव भी तैयार किया है।