केवल अगस्त और सितंबर महीने में गोरखपुर में लगे मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों पर अगर गौर करें तो डेढ़ महीने में करीब बारह दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में ही रहे।
अगस्त महीने में बहुचर्चित देवरिया आश्रयगृह कांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम 15 अगस्त को लगा। वे दो दिवसीय प्रवास पर गोरखपुर आए। प्रदेश में वृहद पौधारोपण कार्यक्रम की शुरूआत करने के साथ गोरखपुर में कई सौ करोड़ की परियोजनाओं का उनके द्वारा लोकार्पण/शिलान्यास करना था। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की तबीयत अचानक बिगड़ने की खबर पाकर वे 16 अगस्त को दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 अगस्त को गोरखपुर पहुंचे। यहां वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की अस्थिकलश यात्रा में शिरकत किए। अस्थियों के विसर्जन के दौरान मौजूद रहे।
अगली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सितंबर के दो तारीख को गोरखपुर पहुंचे। दो दिवसीय प्रवास पर गोरखपुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने सौ से ज्यादा करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास किया और प्राइवेट एयरलाइन्स के घरेलू उड़ान को हरीझंड़ी दिखाई।
इसके बाद फिर दो दिवसीय प्रवास के लिए मुख्यमंत्री 16 सितंबर को गोरखपुर पहुंचे। इस बार वे 16 व 17 सितंबर को विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इसमें सबसे प्रमुख पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की याद में आयोजित काव्यांजलि कार्यक्रम था।
फिर मुख्यमंत्री 22-23 सितंबर के लिए दो दिवसीय प्रवास के लिए गोरखपुर पहुंचे। इसबार भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई परियोजनाओं का सौगात के साथ गोरखनाथ मंदिर के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महराज व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महराज के पुण्यतिथि सप्ताह समारोह में शिरकत भी किया। 26 सिंतबर को भी इसी कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ पहुंचे थे। फिर इसके बाद 28 व 29 सितंबर को मुख्यमंत्री गोरखपुर में दो दिवसीय प्रवास के लिए पहुंचे। इस बार दोनों गुरुओं के पुण्यतिथि सप्ताह समारोह के समापन के लिए वे पहुंचे थे।
अक्तूबर माह में भी तीन अक्तूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिनी प्रवास के लिए गोरखपुर आ रहे हैं। इस बार उनका कार्यक्रम गोरखपुर में मंडल के संसदीय सीटों के लिए संचालन समितियों की बैठक में भाग लेने के लिए लगा है।
हालांकि, गोरखपुर में लगातार मुख्यमंत्री के होने और आसपास के जिलों में कार्यक्रम लगने के बावजूद कानून व्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं दिखा। सबसे अहम यह कि बेलगाम लालफीताशाही से कई मामलों में सरकार की फजीहत भी हुई।
उधर, विरोधियों का मानना है कि गोरखपुर मिनी राजधानी होने और आए दिन गोरखपुर में रहने के बावजूद यहां के कानून-व्यवस्था में न कोई सुधार दिख रहा। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता व विधायक अजय कुमार लल्लू का कहना है कि मुख्यमंत्री प्रदेश को संभालने की बजाय अपने संसदीय क्षेत्र में लगे हुए हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल है। उनके क्षेत्र में ही अपराध का ग्राफ बेतहाशा बढ़ा है।