कला शिक्षा इसलिए जरूरी
बच्चों के सृजनात्मक, बौद्धिक, भावनात्मक, शारीरिक विकास के लिए कला शिक्षा विषय पढ़ाना आवश्यक है। इसी के मद्देनजर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी यह विषय अनिवार्य रखा गया था।
किताबें छापना ही कर दिया बंद
शिक्षा विभाग ने कला शिक्षा विषय की किताबें छापना भी बंद कर दिया है। वर्ष 2012 तक तो कक्षा 6 से 8 तक की कला शिक्षा विषय की सृजन किताबें छापी गई। कक्षा 9 व 10 के बच्चों के लिए 2016 और 2017 में भी किताबें छापी गई। मगर सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क वितरण नहीं किया गया। इसी कारण वर्ष 2018 में मुद्रण बंद कर दिया गया।
किस वर्ष छापी कितनी किताबें
सत्र कक्षा किताबें
2010-11 6 5,05,098
2010-11 7 4,61,831
2010-11 8 1,67,951
2011-12 6 29,166
2011-12 7 20,924
(2012-2013 से सत्र 2018 तक मुद्रण वितरण बंद)
2016 9 25,000
2017 9 42,000
2016 10 2,26,000
(सत्र 2016 से 2018 तक राजकीय विद्यालयों में 1 भी किताब नि:शुल्क वितरित नहीं की गई, सत्र 2018-2019 में मुद्रण बन्द किया)
सप्ताह में 2 या हर कक्षा के 2 कालांश
शिक्षा विभाग ने जवाब दिया है कि सप्ताह में कला शिक्षा के केवल २ कालांश हैं। जबकि हकीकत में सप्ताह में हर कक्षा के 2 कालांश कला शिक्षा के होने चाहिए। इसी प्रकार शारीरिक शिक्षा के भी सप्ताह में प्रति कक्षा 2 कालांश आते हैं।
-कला शिक्षा विषय के साथ भेदभाव किया जा रहा है। ढाई दशक से कला शिक्षक का एक पद तक सृजित नहीं किया गया। खुद को बचाने के लिए विभाग बार-बार झूठ बोल रहा है। महेश गुर्जर, प्रदेश सचिव, राजस्थान बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थी संगठन