डिंडोरीPublished: Sep 21, 2019 05:54:13 pm
Rajkumar yadav
लाचार बुधराम की नहीं सुन रहे पीड़ालगभग सात वर्ष पूर्व भटकते हुए प्रवेश कर गया था पाकिस्तान की सीमा मेंतीन बार दसवीं कक्षा में फेल होने के बाद घर से चला गया था पंजाब
Mother-in-law doing life to fill her lal released from Pakistan jail
डिंडोरी. लगभग पांच वर्ष पूर्व पडोसी देश पाकिस्तान की जेल से भारत लाये गये डिंडोरी जिले के करंजिया निवासी बुधराम मार्को आज गरीबी और बीमारी से तंग हो इतना लाचार और बेबस हो गया हैं कि दो जून की रोजी रोटी को मोहताज हैं। उस पर से मिट्टी से जुड़े कच्चे घरौंदे का एक हिस्सा भी ढह चुका है। आलम यह है कि बुधराम की उम्र दराज माँ को अपने और बेटे के भरण पोषण के लिए यहां वहां काम करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि जब बुधराम वतन वापसी कर अपने गृह ग्राम घर वापस लौटा था तो जिले के जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अमले ने सुर्खियों में बने रहने के लिये खासी वाहवाही बटोरी थी। मगर अफसोस की बुधराम की आव भगत महज क्षणिक मात्र के लिये थी। क्यों कि इसके बाद किसी ने भी बुधराम की ओर मुड़कर नहीं देखा। नतीजतन आज शरीर से दुर्बल और बीमारी की चपेट में आये बुधराम को तंगहाली के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
ऐसे पहुंचा पाकिस्तान
जानकारी के मुताबिक बुधराम अपनी युवा अवस्था मे कक्षा दसवीं में तीन दफा फेल हुआ था। जिसके चलते उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसी स्थिति के चलते वह घर छोंड़ पंजाब होते हुये पडोसी मुल्क पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गया था। जहां 5 जुलाई 2012 को उसे पाकिस्तानी सेना ने अपनी हिरासत में ले लिया था। इसके बाद बुधराम पर अवैध रूप से पाकिस्तान की सरजमी पर प्रवेश का मामला दर्ज कर किया गया। पाकिस्तानी कानून के मुताबिक वहां 10 जुलाई 2012 को एक वर्ष की कैद और 1000 रुपये बतौर अर्थदंड की सजा सुनाई गई थी। नियमानुसार 10 जुलाई 2013 को बुधराम को रिहा हो जाना था। लेकिन पारिवारिक हालात और परिस्थितियों के चलते दूसरे मुल्क में जाकर बुधराम की रिहाई इतनी सहज नही थी। नतीजतन बुधराम को दो वर्ष चार माह का अतिरिक्त समय भी वहीं बिताना पड़ा था।
तत्कालीन सांसद ने लिखा था पत्र
बुधराम की रिहाई के लिये मण्डला संसदीय क्षेत्र के तत्कालीन सांसद को जब आई बी और परिजनों के माध्यम से यह जानकारी लगी थी तो उन्होने रिहाई के लिये प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा था। लेकिन तब तक सत्ता परिवर्तन हो चुका था। ऐसे में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सरहद पार से बुधराम की वतन वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था।
बगले झांक रहे जिम्मेदार
अब जब मामला जिले के कर्णधारों के संज्ञान में आया तो वह मीडिया के सामने बतौर साक्षात्कार सामने आकर हरसंभव मदद का आश्वासन तो दे रहे हैं सांथ ही बगलें झांकते भी नजर आ रहे हैं। इसके अलावा प्रशासनिक महकमा भी ऑफ द रिकॉर्ड मदद मुहैया कराने की बात कर रहा है।