रसोई में मसालों की शान काली मिर्च को आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। कालीमिर्च का पाउडर गुड़ में मिलाकर खाने से खांसी, जुकाम और नजले की समस्या दूर होती है। पिसी हुई काली मिर्च को मंजन के रूप में दांत पर मलने से दांतदर्द में आराम मिलता है। आधा चम्मच कालीमिर्च पाउडर और बताशे को पानी में उबालकर गर्म-गर्म पीने से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर आते हैं। यदि त्वचा पर छोटी फुंसियां उभरने लगें तो काली मिर्च को थोड़े पानी में घिसकर लगाएं। सिरदर्द या सिर में भारीपन महसूस होने पर आयुर्वेद विशेषज्ञ इसका पाउडर सूंघने की सलाह देते हैं। इसका सब्जी या अन्य चीजों में रोजाना उपयोग करने से खून साफ होता है।
दालचीनी के ढेरों फायदे हैं। अगर मुंह से दुर्गंध आती हो तो इसका एक टुकड़ा मुंह में रखकर धीरे-धीरे रस लें। इसके पाउडर को पानी में मिलाकर गरारे करने से दांतों में कीड़े नहीं लगते। दालचीनी के पाउडर में नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बनाएं व चेहरे पर लगाएं इससे कील मुहांसों की समस्या दूर होगी।
इलाइची के कई औषधीय गुण हैं। गले में खराश हो तो सुबह-शाम इलाइची चबाने के बाद गर्म पानी पिएं। यात्रा पर जाने के दौरान बस या गाड़ी में उल्टी या जी मिचलाता है तो इलाइची खा लें।
लौंग में प्रोटीन, आयरन, सोडियम कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट्स व हाइड्रोक्लोरिक एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं। इसमें मौजूद ऑयल दांतों के दर्द में आराम देता है। अगर गर्दन में दर्द या गले में सूजन है तो सरसों के तेल में लौंग मिलाकर मालिश करने से फायदा होता है। घबराहट या उल्टी आने पर लौंग भूनकर उसका पिसा पाउडर शहद के साथ लेने से लाभ मिलता है।