जिले में हर साल प्राइवेट स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले शहरी क्षेत्र में ही प्राइवेट स्कूल थी, लेकिन गांवों में भी खुल गए हैं। आज इनकी संख्या २१७ तक पहुंच गई है। मिडिल क्लास के साथ ही साथ अन्य तबके के छात्र-छात्राएं भी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करने में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं। दर्ज संख्या बढऩे से संचालकों की भी कमाई बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि अधिकांश स्कूल संचालक प्रवेश के दौरान एकमुश्त सालभर का शुल्क वसूल लेते हैं। इसके बाद छात्र-छात्राओं को चुनिंदा संस्थान से यूनिफार्म, कापी, पुस्तक, टाई, बेल्ट आदि सामग्री खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है। ऐसे में मजबूरी में उन्हें इसे अधिक कीमत देकर खरीदना पड़ता है। इस तरह की शिकायत हर साल सामने आती थी, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं देते थे। शासन से आदेश आने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अब हरकत में आ गए हैं। शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो प्राइवेट स्कूल संचालकों का बुक डिपो और कपड़ा दुकान संचालकों के साथ सांठगंाठ का खेल चलता है। हर सामग्री की खरीदी पर उनका कमीशन फिक्स रहता है।
पालकों को मिलेगी राहत
परिजन मनोज कुमार साहू, कन्हैया यादव, किशोर कुमार यादव, चेतन साहू का कहना है कि शिक्षा विभाग ने नया शिक्षण सत्र शुरू होने से पहले प्राइवेट स्कूल संचालकों को यूनिफार्म और स्टेशनरी सामग्री के संबंध में नोटिस जारी कर अच्छा काम किया है। इससे काफी राहत मिलेगी। संचालक किसी तरह का दबाव नहीं बना सकेंगे। अधिकारियों को भी लगातार स्कूलों की मानिटरिंग करना चाहिए।