संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि इस साल ज्यादा बारिश हुई है। संपत्तियां,आवासीय सुविधाआें के साथ ही साथ सरकारी सुविधाआें पर भी आपदा का प्रभाव पड़ा है। करीब 100 लोग मरे हैं। 48 लोग घायल हुए हैं। 9 लोग अब तक लापता हैं। करीब 1078 मकान आशिंक रूप से क्षतिग्रस्त हैं। पेय जल की पाइप लाइनें क्षतिग्रस्त हुई हैं। पंत ने कहा कि सरकार कोशिश कर रही है कि आपदा के मानकों को बदला जाए।
उन्होंने कहा कि इस बार तो मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोष के तहत प्रभावितों को अतिरिक्त एक एक लाख की मदद भी की गई है। जिलाधिकारियों को 77 करोड़ की राशि भी दी गई है। ताकि आपदा राहत और बचाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य समय पर किए जा सकें। आपदा में फंसे लोगों को निकालने के लिए नि:शुल्क हेली सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। पंत ने कहा कि मानकों में ढील के लिए केंद्र को पत्र लिखा जा चुका है।
आपदा का मुद्दा उठाते हुए हरीश धामी ने कहा कि दैवीय आपदा से उत्तराखंड ग्रस्त है। आज स्थिति यह है कि उत्तराखंड अन्य राज्यों से कटा हुआ है। मोटर मार्ग और पैदल मार्ग दोनों की ही स्थिति काफी बदतर बनी हुई है। धामी ने कहा कि हालात एेसे हो गए हैं कि एक गांव से दूसरे गांवों में जाना कठिन हो गया है। हेली सेवाएं भगवान भरोसे है। 10 मिनट के लिए 31 सौ किराया वसूला जा रहा है। जब कांग्रेस सत्ता में थी उस समय आपदा के दौरान यह व्यवस्था नि: शुल्क थी। धामी ने कहा कि प्रभावित परिवारों को अब तक मुआवजा नहीं नहीं मिल पाया है। लिहाजा दैवीय आपदा के मानक बदले जाएं। बागेश्वर,चमोली,रुद्रप्रयाग ,ऊधम सिंह नगर और देहरादून में आपदा आई है। इसलिए इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।
धामी के अलावा आदेश चौहान सहित कई कांग्रेस के विधायकों ने आपदा का मुद्दा उठाया। चौहान ने कहा कि कटान की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं। बीमा से भी किसान वंचित हैं। ऐसे में किसानों की आय दुगुना कैसे हो सकती है। तटबंधों को सशक्त करने के उपाय करने की आवश्यकता है ताकि बाढ़ की स्थिति से बचा जा सके। इसके अतिरिक्त विपक्ष ने कहा कि दैवीय आपदा के मानक के मुताबिक मकानों का मुआवाजा एक लाख एक हजार नौ सौ दिया जा रहा है। इतनी कम राशि से मकान का निर्माण संभव नहीं है।