पुलिस विभाग का कहना है कि 5 साल बाद भी नर कंकालों का मिलना अचरज की बात है। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि हर ट्रैक पर सर्च अभियान चलाए जाएं। बताते चलें कि सरकार ने पिछले 11 अक्टूबर को 7 आईपीएस अफसरों के नेतृत्व में पुलिस टीम केदारनाथ में नर कंकाल के खोज के लिए भेजी थी। टीम ने अलग-अलग रूट पर कंकालों की तलाश की। सबसे ज्यादा रामबाड़ा रूट में नर कंकाल मिले हैं यहां ज्यादा खोपड़ी मिली है।
बताते चलें कि वर्ष 2013 की आपदा में काफी लोग मारे गए थे। इसके पहले प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और उसने यह कह कर सर्च अभियान बंद कर दिया था कि अब कोई नर कंकाल केदार घाटी में नहीं है। नर कंकाल मिलने से उत्तराखंड में दहशत का माहौल है।
जारी रहेगा सर्च अभियान
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में कहा कि सर्च अभियान जारी रहेगा। कांग्रेसी सरकार को सर्च अभियान नहीं बंद करना चाहिए था। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कांग्रेस के कार्यकाल में 690 के आसपास नर कंकाल मिले थे। प्रीतम सिंह का कहना है भाजपा सरकार ने कभी भी नर कंकाल की तलाशी के लिए नये सिरे से पहल नहीं की। वर्तमान में जो नर कंकाल निकल रहे हैं इसके पीछे हाईकोर्ट के आदेश हैं। जिसके कारण उत्तराखंड सरकार ने टीम बनाकर नर कंकालों को निकालने की सार्थक पहल की है।
कांग्रेस ने सरकार को घेरा
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा की सरकार में पिछले डेढ़ साल से प्रदेश की सत्ता पर काबिज है। हाई कोर्ट ने नर कंकालों को खोजने का आदेश नहीं दिया होता तो सरकार कुंभकरण नींद में ही होती।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में आई आपदा के समय राज्य और केंद्र दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार थी। इस दौरान 4 से 5 माह तक ही सर्च अभियान चलाया गया। उसके बाद केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने नर कंकालों को ढूंढने का काम बंद कर दिया। हाईकोर्ट ने दिसंबर 2017 को एक जनहित याचिका पर सरकार को केदारघाटी में लापता शवों की तलाश के लिए टीम गठित करने के निर्देश दिए थे। 2 दिन में ही काफी संख्या 25 नर कंकाल मिल चुके हैं। माना जा रहा है कि अभी काफी संख्या में नर कंकाल जहां तहां बिखरे हुए हैं।