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Hanuman Jayanti Special Story : राजस्थान के इस चमत्कारिक मंदिर में भूत-प्रेत करने लगते हैं ‘डांस’, जानें क्यों

Hanuman Jayanti 2024 : मेहंदीपुर बालाजी धाम में बालाजी महाराज, प्रेतराज सरकार और भैरव कोतवाल की मूर्तियां विराजमान है। कहा जाता है कि ये तीन देवता आज से करीब 1008 साल पहले प्रकट हुए थे।

दौसाApr 23, 2024 / 10:05 am

Anil Prajapat

Hanuman Jayanti 2024 : दौसा। राजस्थान में हनुमान जयंती पर आज गजब का उत्साह नजर आ रहा है। खासकर प्रदेश के उन हनुमान मंदिरों में जो देशभर के भक्तों के लिए विशेष आस्था के केंद्र हैं। इस उत्साह की वजह है, इस बार हनुमान जी का जन्मोत्सव मंगलवार के दिन मनाया जा रहा है। ऐसे में राजस्थान के प्रमुख हनुमान मंदिरों में सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। आज हम आपको ऐसे चमत्कारिक हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आते ही भूत-प्रेत भी डांस करने लगते हैं। हम बात कर रहे हैं मेहंदीपुर बालाजी धाम के बारे में, जो दौसा जिले में स्थि​त है। कहा जाता है कि भूत-प्रेत की बाधा से मुक्ति के लिए यहां देशभर से लोग आते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी धाम में बालाजी महाराज, प्रेतराज सरकार और भैरव कोतवाल की मूर्तियां विराजमान है। कहा जाता है कि ये तीन देवता आज से करीब 1008 साल पहले प्रकट हुए थे। इनके प्रकट होने से लेकर अब तक 12 महंत यहां हनुमानजी की सेवा कर चुके हैं। लेकिन, बालाजी घाटा मेंहदीपुर के इतिहास का स्वर्ण युग महंत गणेशपुरी महाराज के समय से शुरू हुआ और मुख्य मंदिर का निर्माण भी इन्हीं के समय में हुआ।

यहां भूत-प्रेत की बाधा होती है दूर

”भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे” हनुमान चालीसा में ऐसा लिखा हुआ है। मेहंदीपुर बालाजी में भी कुछ ऐसा ही चमत्कार देखने को मिलता है। जिन लोगों के शरीर में बुरी आत्माओं का वास होता है, उनको हनुमानजी की दर पर आते ही भूत-प्रेत की बाधा से मुक्ति मिल जाती है। यहां पर भी ऐसा दृश्य देखने को मिल जाता है। यानी साफ है कि हनुमानजी के दर पर आते ही भूत-प्रेत भी डांस करने लगते हैं। रोजाना हजारों की तादात में देशभर से लोग भूत-प्रेत की बाधा से मुक्ति के लिए यहां आते है। धार्मिक मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी में भूत, प्रेत, पिशाच, ऊपरी बाधाएं लोगों के शरीर से उतारे जाते हैं। यहां सामान्य भक्तों के दर्शनों के साथ ही ऊपरी बाधाओं और बीमारियों वाले भक्तों की बालाजी के दरबार में पेशी लगती है।
Mehandipur Balaji Temple

एक हजार साल पहले यहां था घना जंगल

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़ी कई अनोखी बातें है। कहा जाता है कि पहाड़ के नीचे बसे मेहंदीपुर में आज से करीब एक हजार साल पहले घना जंगल था। तब महंत किशोरपुरी जी के पूर्ववर्ती महाराज को बालाजी ने रात में स्वप्न में दर्शन दिए थे और मंदिर बनवाने की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने सुबह 11 गांवों के पंच-पटेलों को इस बारे में अवगत कराया। जिस पर पंच-पटेलों ने घने जंगल से कंकड़-पत्थर और घास-फूस हटानी शुरू की तो पर्वत पर बालाजी महाराज का बचपन का रूप अपनी पूर्ण शक्तियों के साथ नजर आया। पास ही भैरव बाबा और प्रेतराज भी अलग-अलग स्थानों पर दिखे। इसके यहां मंदिर की स्थापना की गई। तब से यहां रोजाना हनुमानजी की पूजा-अर्चना की जा रही है।

क्यों खास है हनुमानजी की प्रतिमा?

खात बात ये है हनुमानजी की मूर्ति को किसी कलाकार ने गढ़ कर नहीं बनाया है। यह तो पर्वत का ही अंग है और यह समूचा पर्वत ही मानों उसका कनक भूधराकार द्रारीर है। इसी मूर्ति के चरणों में एक छोटी-सी कुंडी है, जिसका जल कभी बीतता ही नहीं था। रहस्य यह है कि महाराज की बायीं ओर छाती के नीचे से एक बारीक जलधारा लगातार बहती रहती है, जो पर्याप्त चोला चढ़ जाने पर भी बंद नहीं होती है।
Mehandipur Balaji Temple

1979 में भी घटी थी रोचक घटना

कहा जाता है कि विक्रमी-संवत् 1979 में बालाजी महाराज का चोला बदला गया था। तब गाड़ियों में भरकर चोले को गंगा में प्रवाहित करने के लिए श्रद्धालु चल पड़े। जब वो मंडावर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो रेलवे स्टाफ ने सामान समझ चौले को तौलना चाहा। इस दौरान रोचक घटना ये हुई कि कभी चौले का वजन एक मन बढ़ जाता तो कभी एक मन घट जाता। आखिरकार रेलवे अधिकारी ने हार मान ली थी। इसके बाद चोले को गंगा में प्रभाविह किया गया था।

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