scriptइलेक्शन स्पेशल…मिथिलांचल की राजधानी में मोदी विरोध और मोदी की जंग तीखी | special ground report of darbhanga before lok sabha election 2019 | Patrika News

इलेक्शन स्पेशल…मिथिलांचल की राजधानी में मोदी विरोध और मोदी की जंग तीखी

locationदरभंगाPublished: Apr 25, 2019 09:41:30 pm

Submitted by:

Prateek

विशेष संवाददाता प्रियरंजन भारती की रिपोर्ट…
 

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(दरभंगा): मिथिलांचल की राजधानी और मिथिला का दिल कहे जाने वाले दरभंगा का चुनावी संग्राम दो पाटों में सिमटा है। कीर्ति आजाद की भाजपा से आजादी के साथ सुविख्यात दरभंगा वास्तव में एक ऐसी बानगी प्रस्तुत करने को बेकरार दिखता है, जो देश में आतंकवाद और उसके निर्मूलन के लिए उठे वेग को बड़ी हवा देने में सक्षम हो सकता हो। हर बार की भांति इस दफा भी लड़ाई आरपार की छिड़ी है। इसमें खास यही है कि इस दफा कीर्ति आजाद सीन से बाहर हैं।

 

दरभंगा महाराज की कर्मभूमि और उनके साम्राज्य की धरोहरों से लिपटे पड़े दरभंगा में इस बार भी भाजपा और विरोधी आरजेडी में सीधी लड़ाई है। यह भी दिलचस्प है कि इस बार दोनों ही दलों के उम्मीदवार दूसरे हैं। भाजपा ने ग्रासरूट वर्कर गोपालजी ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। मुकाबले में आरजेडी यानी महागठबंधन की ओर से अब्दुल बारी सिद्दीकी हैं। सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाने से चार बार सांसद रह चुके एम एम फातमी ने बगावत कर डाली और उन्होंने अंततः आरजेडी छोड़ बसपा का दामन थाम लिया। उन्होंने बसपा से मधुबनी का उम्मीदवार बनना चाहा पर मुस्लिम संगठनों के मनौव्वल के बाद मान गए। चार बार सांसद रहे फातमी केंद्र में मंत्री भी रहे। उनके रहते भर में आतंकवाद और आईएसआई की जड़ें उत्तर बिहार में विस्तार पाने में खूब सफल रहीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कीर्ति आजाद ने उन्हें 46,453 मतों से पराजित कर दिया था। आजाद लगातार तीन बार यहां के सांसद रहे पर अंततः भाजपा से अपने रिश्ते बिगाड़ कर यहां और भाजपा से भी विस्थापित हो गए। 1971 तक कांग्रेस का गढ़ रहे दरभंगा से ललितनारायण मिश्र जीतते रहे। बाद में यह समाजवाद का केंद्र बना पर 1990 के बाद जातीय विषबेल यहां फैलती पसरती रही।

 

दरभंगा में साढ़े तीन लाख मुस्लिम और करीब तीन तीन लाख यादव और ब्राम्हण जातियां निर्णायक रही हैं। इस दफा सर्जिकल स्ट्राइक और आतंकवाद के खिलाफ जंग के माहौल में जातियां सांप्रदायिक आधार पर गोलबंदी के लिए आतुर दिख रही हैं। आरजेडी को मुस्लिम यादव यानी एमवाई समीकरण मजबूत होने का भरोसा है तो भाजपा मोदी मुद्दे पर ध्रुवीकरण की तीव्रता बढ़ने की आस लगाए हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की सभा में जुटी बेशुमार भीड़ इन्हें उत्साहित करती है। जबकि आरजेडी उम्मीदवार उम्मीद में हैं कि मोदी हराओ के नाम पर बाजी उनके हाथ लग जाएगी।

 

दरभंगा चौक पर मिले श्यामसुंदर झा कहते हैं, ई बार मोदिए के वोट पड़ैत। अहां कते लिखिअउ पर जीत कमले छाप के भेंटाएत। लेकिन श्यामा काली मंदिर के दुकानदार रामकुमार यादव कहते हैं, मोदी जी बेरोजगारी बढ़ा दिए। देश को झूठे वादों में उलझाकर रख दिया। रामकुमार के साथी नकुल सिंह की मानें तो भी देश में दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है। चौथे चरण में मतदान इसी आरपार की भावनाओं के बीच होना है। बात महज़ इतनी भर है कि वोटों के ध्रुवीकरण में महिलाओं और युवाओं के वोट जिधर जाएंगे, बाजी उसी के हाथ आ जाएगी।

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