बीसीसीआई लोकपाल से जांच कराने की मांग
रश्मि नायर नामक महिला कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में यह मांग की है कि राहुल जौहरी के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न मामले की फिर से जांच कराई जाए और यह मामला बीसीसीआई लोकपाल डीके जैन से कराई जानी चाहिए। आखिर क्यों राहुल जौहरी पर लगे यौन उत्पीड़नों की जांच हाल में नियुक्त बीसीसीआई लोकपाल डीके जैन को नहीं सौंपा गया?
दो महिलाओं ने दिया था जौहरी के खिलाफ बयान
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि जांच के लिए बनी समिति के पास बयान देने के लिए आरोप लगाने वाली तीनों महिलाएं आई थीं। इनमें से एक ने किसी कारणवश कोई बयान नहीं दिया, लेकिन बाकी की दो महिलाओं ने उनके खिलाफ अपना बयान दर्ज कराया था।
इसके अलावा टीम की जांच पूरा करने के बाद जांच समिति के सदस्यों के बीच मतभेद था। जांच समिति में शामिल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राकेश शर्मा, बरखा सिंह और वीना गौड़ा में से एक सदस्य वीना गौड़ा ने राहुल जौहरी दोषी पाया था। इसके बावजूद कैसे उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।
गौड़ा ने की थी यह टिप्पणी
स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट में राकेश शर्मा और बरखा सिंह ने यौन उत्पीड़न मामले में जहां राहुल जौहरी को क्लीन चिट दे दी थी, वहीं गौड़ा ने कहा था कि ‘बर्मिघम में जौहरी का आचरण, बीसीसीआई जैसी संस्था के सीईओ के रूप में पेशेवर और उचित नहीं है। यह संस्था की प्रतिष्ठा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा और इस पर संबंधित अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
2017 चैम्पियंस ट्रॉफी के दौरान इंग्लैंड की है यह घटना
बता दें कि यह घटना 2017 की है। उस वक्त राहुल जौहरी टीम इंडिया के साथ उस समय 2017 चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए इंग्लैंड गए हुए थे। बता दें कि कमेटी ने यौन उत्पीड़न से राहुल जौहरी को क्लीन चिट जरूर दी थी, लेकिन उसने भी माना था कि बर्मिंघम में महिला कर्मी से जौहरी ने खराब व्यवहार किया था और लैंगिक समानता के मुद्दे पर काउंसिलिंग की सिफारिश की थी।
सीओए सदस्य डायना ने किया था विरोध
जांच समिति से क्लीन चिट मिलने के बाद राहुल जौहरी ने मुंबई स्थित कार्यालय में दोबारा बीसीसीआई सीईओ का कार्यभार संभाल लिया था। हालांकि इसके बावजूद सीओए सदस्य डायना एडुल्जी ने उनके दोबारा कार्यभार संभालने का विरोध किया था और जौहरी के इस्तीफे की मांग बरकरार रखी थी।