खजुराहो में मूर्ति तस्करी की आशंका
छतरपुर•Mar 20, 2019 / 01:19 am•
हामिद खान
The prized image found inside the sack in the field
खजुराहो. पर्यटन नगरी खजुराहो में लंबे समय से मूर्ति तस्कर सक्रिय है। एक बेशकीमती प्रतिमा की तस्करी करने का फिर से प्रयास हुआ है। मंगलवार को बीच शहर में गेहूं के खेत में एक मूर्ति बोरे के अंदर बंद हालत में बरामद हुई है। माना जा रहा है कि यह मूर्ति तस्करी करने का प्रयास किया जा रहा था। नगर के सबसे व्यस्ततम जैन मंदिर मार्ग स्थित और भारतीय पुरातत्व विभाग के स्मारक की विस्तार सीमा से जुड़े एक गेंहू के खेत में एक प्लास्टिक की बोरी में एक चंदेलकालीन मूर्ति पाई गई है। जानकारों के अनुसार यह मूर्ति बामनदेव की है। ये मूर्ति जिसके खेत में पाई गई उस व्यक्ति ने खजुराहो पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने एक पंचनामा बनाकर मूर्ति अपने कब्जे में ले ली है। इस प्रकरण की जानकारी देने में थाना प्रभारी खजुराहो आर.एस बागरी भी बचते नजर आए। जबकि पुरातत्व विभाग के कनिष्ठ संरक्षण सहायक जीके शर्मा ने ऐसी किसी भी जानकारी से अनविज्ञता जताई है।
जैन मंदिर मार्ग पर राजाबाबू चंदेल के गेंहू के खेत में काम करने वाले बटाईदार गनपत कुशवाहा ने राजाबाबू चंदले को बताया कि खेत में एक बोरी बंधी डली है। जब राजाबाबू चंदेल, अपने साथी लक्ष्मी नारायण सिंह के साथ मौके पर पहुंचे और बोरी खोली तो उसमें मूर्ति मिली। उसी समय चंदेल ने खजुराहो पुलिस को तुरंत सूचना दे दी। पुलिस भी मौके पर पहुंची और एक पंचनामा बनवाकर मूर्ति अपने कब्जे में लेकर चली गई। ये मामला पहली नजर में ही मूर्ति तस्करी का लगता है, जिसे गंभीरता से नहीं लिया गय। अगर पुलिस चाहती तो इस प्रकरण की तह तक जा सकती थी।
दुनिया भर में 10वीं तथा 11वीं शताब्दी की चंदेलकालीन शिल्पकला के लिए मशहूर विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो के स्मारकों को देखने के लिए हर कोई आतुर रहता है। दुनियाभर से सात समंदर पार कर काम की शिल्पकला यहाँ लोगों को खींच लाती है, जिसके कारण इसका महत्व बहुत बड़ा है और इसी कारण इन स्मारकों को यूनिस्को की धराहरों में शामिल किया गया है। पूर्व में खजुराहो के इर्द-गिर्द बड़ी संख्या में ये पुरा संपदा बिखरी रही, जो अब धीरे-धीरे सिमट के सीमित स्थानों पर ही रह गई है। चूंकि खजुराहो की मूर्तियां की तस्करी पूर्व से होती रही है। ये बेशकीमती मूर्तियां अभी भी तस्करी के द्वारा देश और दुनिया तक भेजी जा रही हैं।
सूत्रों की माने और परिस्थितियों का आंकलन करें तो ये मूर्ति तस्करी का खेल बेख़ौफ होकर जिम्मेदार विभागों की अनदेखी या इनकी सह पर अनवरत जारी है। कई मामले पूर्व में भी सामने आए हैं और जांच के नाम पर दफ न भी हो चुके हैं, लेकिन एक बार फिर मूर्ति तस्करी के प्रयास की इस घटना ने जिम्मेवार अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।
जानकारी दी गई है
&अभी तक मेरे विभाग में किसी भी मूर्ति की सुपुर्दगी नहीं हुई और थाना खजुराहो से ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई।
जीके शर्मा, कनिष्ठ संरक्षण सहायक भारतीय पुरातत्व विभाग खजुराहो
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