मिड डे मील योजना के तहत मंगलवार को छात्राओं को दाल-चावल परोसा जाना था। मिड डे मील बनाने वाले एनजीओ ने खाना बनवाकर विद्यालय में भेजवा दिया। जब छात्राओं के खाने का समय हुआ तो उन्हें खाना दिया गया। खाना परोसे जाने के बाद छात्राओं ने चावल में बदबू होने की शिकायत करते हुए हो-हल्ला करना शुरू कर दिया। उनके विरोध की खबर सुनकर प्रधानाचार्य कमर जहां व अन्य शिक्षिकाएं वहां पहुंच गईं। यहां छात्राओं ने उनसे चावल में बदबू होने की शिकायत की। शिक्षिकाओं ने जब चावल सूंघकर देखा तो छात्राओं की शिकायत को सही पाया। उन्होंने विद्यालय परिसर में बने खंड शिक्षाधिकारी कार्यालय में इसकी शिकायत बीईओ से की। इसपर बीईओ ने भी चावल में दुर्गंध की शिकायत सही पाई। उन्होंने छात्राओं से इस खाने को खाने से मना कर दिया और मिड डे मील बनाने वाले एनजीओ को दूसरा ताजा बना खाना भेजने को कहा। उनके कहे जाने के बाद भी एनजीओ ने दूसरा खाना नहीं भेजा और छात्राओं को भूखे पेट ही पढ़ाई करनी पड़ी। प्रधानाचार्य ने बताया कि पहले छात्राओं को दिया जाने वाला मिड डे मील स्कूल में ही बनता था। यहां बनने वाले खाने की गुणवत्ता ठीक रहती थी। खाने में कभी कोई शिकायत नहीं मिली थी। लगभग दो माह पूर्व इसे वाराणसी की सीमा सिंह के एनजीओ को सौंप दिया गया। तब से छात्राओं का खाना वाराणसी से ही बनकर आता है।