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बूंदी

गरडिया की तर्ज पर विकसित हो जामुनिया क्षेत्र

कोटा-बूंदी जिले की सीमा के बीच चंबल स्थित जामुनिया द्वीप बरबस लोगों को आकर्षित करता है। यहां बने छोटे बड़े डेढ दर्जन टापू शांत चंबल में दिल दिमाग को आनंदित कर देते है।

बूंदीJul 09, 2018 / 03:46 pm

Devendra

Jumaunya region developed on the lines of the 'Garhiya'

‘Garhiya’

बूंदी. कोटा-बूंदी जिले की सीमा के बीच चंबल स्थित जामुनिया द्वीप बरबस लोगों को आकर्षित करता है। यहां बने छोटे बड़े डेढ दर्जन टापू शांत चंबल में दिल दिमाग को आनंदित कर देते हंै। कभी पेड़ों और द्वीपों तो चंबल की लहरों पर सवार इठलाते पक्षियों की अठखेलियां प्रफुल्लित कर देती है। इस स्थल को अगर मिनी भरतपुर कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
पक्षी प्रेमियों की मांग है कि गरडिय़ा की तर्ज पर यह स्थल विकसित हो तो पर्यटन को बढ़ावा मिले।यहां मई से अक्टूबर माह तक पक्षियों की कलरव सुनाई देता है।
टयूरिज्म प्रमोटर ए.एच. जैदी ने बताया कि चंबल नदी स्थित बालापुरा-जामुनिया द्वीप पर २००३ से बराबर देखा जा रहा है कि ग्रीष्म ऋतु से मानसून तक यहां स्थानीय पक्षियों की कॉलोनी बनी होती है, लेकिन यह स्थान ओपन बिल स्र्टोक (घोघिंल) पक्षियों की कॉलोनी के लिए प्रसिद्ध रहा है। इसी समय में यहां मादा मगरमच्छ अंडे देती है, यही वजह है कि यहां मगरमच्छों की संख्या बढ़ती जा रही है।
जैदी का कहना है कि यहां ओपन बिल स्र्टोक के अलावा केटल इग्रेट, लिटिल इग्रेट, मिडन इग्रेट, नाइटहेरोन, व्हाइट आइबीज, लिटिल कॉरमोरेन्ट भी प्रजनन करते हंै। इस बार व्हाइट आईबीज के अलावा सभी पक्षियों ने अप्रैल मई में वंश वृद्धि कर चुके।
ओपन बिल स्र्टोक के लगभग २०० से अधिक घौंसलें देखे जा सकते हैं। ये पक्षी तिनका- तिनका एकत्र कर आशियाना तैयार करते हैं। अगस्त माह तक यहां नन्हें मेहमान सैलानियों को आकर्षित करेंगे।

अक्टूबर माह तक बनी रहेगी चहचहाट
ओपन बिल स्र्टोक पक्षियों का प्रजजन यूं तो अप्रेल माह से शुरू हो जाता है, लेकिन इस वर्ष देरी से इन पक्षियों का प्रजनन देखा गया है। जून के दूसरे सप्ताह से वंश वृद्धि करने वाले इन पक्षियों की चहचहाट इस बार अक्टूबर माह तक रहेगी। पक्षी प्रेमी हरफूल शर्मा का कहना है कि बूंदी क्षेत्र के के.पाटन के चंबल किनारे सूनगर, जगनाथा, नोताड़ा, बालिता, जागरोन, तीरथ आदि गांवों में इन पक्षियों की चहल पहल दिखाई देती है।
पर्यटन स्थल में हो शुमार
कोटा-बूंदी के प्रसिद्ध गराडिय़ा की तर्ज पर चंबल के बीचों बीच जामुनिया में डेढ दर्जन टापुओं को भी सरकार चाहे तो पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकती है। इन टापुओं तक नाव से आ जा सकते हंै।

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