जानकारी के अनुसार 1930 में पहली बार ए1एन1 वायरस के सामने आने के बाद से 1998 तक इस वायरस के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। 1998 और 2002 के बीच इस वायरस के तीन विभिन्न स्वरूप सामने आए। इनके भी 5 अलग-अलग जीनोटाइप थे। मानव जाति के लिए जो सबसे बड़ा जोखिम सामने है वह है स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस(swine flu treatment and symptoms)के म्यूटेट करने का जोकि स्पेनिश फ्लू की तरह घातक भी हो सकता है। चूँकि यह इंसानों के बीच फैलता है इसलिए सारे विश्व के इसकी चपेट में आने का खतरा है।
विशेषज्ञों की माने तो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रतिरोधी क्षमता(swine flu treatment) पर वायरसों का हमला गंभीर साबित हो रहा है। एयर पॉल्युशन से वायरस और ज्यादा एक्टिव हो जाता है। मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आदर्श वाजपेयी के मुताबिक दीपावली के बाद शहर में स्वाइन फ्लू वायरस का अटैक बढ़ सकता है।
डॉक्टर्स कहते हैं कि स्वाइन फ्लू का वायरस सामान्यत: 18 डिग्री से 28 डिग्री के तापमान में सबसे ज्यादा सक्रीय होता है। लेकिन इस बार तो यह 35 डिग्री तामपान में भी तेजी से फैल रहा है। इससे पहले राजस्थान के कोटा में भी करीब दो साल पहले गर्मी भी इस वारयस को कमजोर नहीं कर पाई थी। और जहां लोग गर्मी में इस वायरस के निष्क्रिय होने की आस लगाए बैठे थे, वहीं कोटा में यह गर्मी के दौरान भी काफी सक्रिय रहा था।
– 40 साल की गुड्डी (परिवर्तित नाम) को बीएमएचआरसी में भर्ती किया गया। जांच रिपोर्ट आने के एक दिन बाद ही मौत हो गई
– 55 साल के शोभित (परिवर्तित नाम) भी बुखार और बदन दर्द के चलते घर पर ही दवा लेते रहे, अगले दिन जेपी अस्पताल में दिखया जहां रिपोर्ट आने के पहले ही मौत हो गई।
2009 — 78 — 08 — 00
2010 — 619 — 139 — 39
2011 — 79 — 03 — 01
2012 — 408 — 66 — 12
2013 — 344 — 35 — 09
2014 — 60 — 07 — 04
2015 — 2200 — 752 — 78
2016 — 591 — 82 — 12
2017 — 298 — 134 — 24
डॉक्टर राजकुमार के अनुसार कई बार हम बीमारी में घर के ही हल्के इलाज शुरू कर देते हैं, जिसमें कुछ लाभ भी मिलता है। लेकिन जिस तेज गति से इस वायरस ने अपने में बदलाव किए हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही भारी पड़ सकती है। अत: इसके जरा से भी लक्षण सामने आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सामान्य एन्फ्लूएंजा के दौरान रखी जाने वाली सभी सावधानियाँ इस वायरस के संक्रमण के दौरान भी रखी जानी चाहिए। बार-बार अपने हाथों को साबुन या ऐसे सॉल्यूशन से धोना जरूरी होता है जो वायरस का खात्मा कर देते हैं। नाक और मुँह को हमेशा मॉस्क पहन कर ढँकना जरूरी होता है। इसके अलावा जब जरूरत हो तभी आम जगहों पर जाना चाहिए ताकि संक्रमण ना फैल सके।
यह है इलाज(swine flu treatment) :
संक्रमण के लक्षण प्रकट होने के दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल ड्रग देना जरूरी होता है। इससे एक तो मरीज को राहत मिल जाती है तथा बीमारी की तीव्रता भी कम हो जाती है। तत्काल किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती कर दें ताकि पैलिएटिव केअर शुरू हो जाए और तरल पदार्थों की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती रह सकें। अधिकांश मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।