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भोपाल

स्वाइन फ्लू के वारयस ने बदला अपना रूप!, और ज्यादा घातक हो कर सामने आया

स्वाइन फ्लू के घातक मिजाज के चलते अब यह वायरस पांच या छह दिन में नहीं बल्कि अब तो 48 घंटे में ही जानलेवा साबित हो रहा है।

भोपालOct 07, 2017 / 07:26 pm

दीपेश तिवारी

swine flu virus changing
भोपाल। इस बार बीते सालों के मुकाबले स्वाइन फ्लू (swine flu) का वायरस कहीं ज्यादा घातक हो गया है। जानकारों का मानना है कि ऐसा लगता है कि लगातार मजबूत हो रहे इस वायरस ने धीरे – धीरे अपने में कुछ परिवर्तन कर लिए हैं, जिसके कारण इसका घातक रूप तेजी से सामने आ रहा है। इसी बदले रूप व घातक मिजाज के चलते अब यह वायरस पांच या छह दिन में नहीं बलिक इस बार तो 48 घंटे में ही जानलेवा हो रहा है।
जानकारों का मानना है कि इसी कारण इस वायरस(swine flu virus)s से मौत का अनुपात इस बार पिछले सालों में कहीं ज्यादा है। जहां बीते साल हर दस में से एक मरीज की इस वायरस से मौत हो रही थी वहीं इस बार यह इतना घातक हो गया है कि हर चार मरीजों में से एक की जान ले रहा है। गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू का वायरस हर दो साल में अपनी प्रकृति बदल कर और ज्यादा प्रभावी हो जाता है।
ऐसे आया स्वरूप में परिवर्तन:
जानकारी के अनुसार 1930 में पहली बार ए1एन1 वायरस के सामने आने के बाद से 1998 तक इस वायरस के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। 1998 और 2002 के बीच इस वायरस के तीन विभिन्न स्वरूप सामने आए। इनके भी 5 अलग-अलग जीनोटाइप थे। मानव जाति के लिए जो सबसे बड़ा जोखिम सामने है वह है स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस(swine flu treatment and symptoms)के म्यूटेट करने का जोकि स्पेनिश फ्लू की तरह घातक भी हो सकता है। चूँकि यह इंसानों के बीच फैलता है इसलिए सारे विश्व के इसकी चपेट में आने का खतरा है।
बढ़ सकता है खतरा:
विशेषज्ञों की माने तो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रतिरोधी क्षमता(swine flu treatment) पर वायरसों का हमला गंभीर साबित हो रहा है। एयर पॉल्युशन से वायरस और ज्यादा एक्टिव हो जाता है। मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आदर्श वाजपेयी के मुताबिक दीपावली के बाद शहर में स्वाइन फ्लू वायरस का अटैक बढ़ सकता है।
गर्मी में भी हुआ प्रभावी:
डॉक्टर्स कहते हैं कि स्वाइन फ्लू का वायरस सामान्यत: 18 डिग्री से 28 डिग्री के तापमान में सबसे ज्यादा सक्रीय होता है। लेकिन इस बार तो यह 35 डिग्री तामपान में भी तेजी से फैल रहा है। इससे पहले राजस्थान के कोटा में भी करीब दो साल पहले गर्मी भी इस वारयस को कमजोर नहीं कर पाई थी। और जहां लोग गर्मी में इस वायरस के निष्क्रिय होने की आस लगाए बैठे थे, वहीं कोटा में यह गर्मी के दौरान भी काफी सक्रिय रहा था।
भोपाल में इन मामलों से सामने आई वायरस की बढ़ती ताकत :

– रुचिका साहू (परिवर्तित नाम) को सामान्य बुखार के चलते घर पर ही दवा दी। अगले दिन अस्पताल ले गए जहां कुछ ही घंटों में मौत हो गई।
– 40 साल की गुड्डी (परिवर्तित नाम) को बीएमएचआरसी में भर्ती किया गया। जांच रिपोर्ट आने के एक दिन बाद ही मौत हो गई
– 55 साल के शोभित (परिवर्तित नाम) भी बुखार और बदन दर्द के चलते घर पर ही दवा लेते रहे, अगले दिन जेपी अस्पताल में दिखया जहां रिपोर्ट आने के पहले ही मौत हो गई।
भोपाल में हुई मौतें…

वर्ष — संदिग्ध — पॉजिटिव — मौत
2009 — 78 — 08 — 00
2010 — 619 — 139 — 39
2011 — 79 — 03 — 01
2012 — 408 — 66 — 12
2013 — 344 — 35 — 09
2014 — 60 — 07 — 04
2015 — 2200 — 752 — 78
2016 — 591 — 82 — 12
2017 — 298 — 134 — 24
वहीं वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हैल्थ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह वायरस अब केवल सूअरों तक सीमित नहीं है, इसने इंसानों के बीच फैलने की कुवत हासिल कर ली है। अमेरिका में 2005 से अब तक केवल 12 मामले ही सामने आए हैं। एन्फ्लूएंजा वायरस की खासियत यह है कि यह लगातार अपना स्वरूप बदलता रहता है। इसकी वजह से यह उन एंटीबॉडीज को भी छका देता है जो पहली बार हुए एन्फ्लूएंजा के दौरान विकसित हुई थीं। यही वजह है कि एन्फ्लूएंजा के वैक्सीन का भी इस वायरस पर असर नहीं होता।
स्वाइन फ्लू के लक्षणों को ऐसे पहचानें(swine flu symptoms):-
डॉक्टर राजकुमार के अनुसार कई बार हम बीमारी में घर के ही हल्के इलाज शुरू कर देते हैं, जिसमें कुछ लाभ भी मिलता है। लेकिन जिस तेज गति से इस वायरस ने अपने में बदलाव किए हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही भारी पड़ सकती है। अत: इसके जरा से भी लक्षण सामने आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
ये हैं लक्षण: स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही होते हैं। बुखार, तेज ठंड लगना, गला खराब हो जाना, मांसपेशियों में दर्द होना,नाक का लगातार बहना, छींक आना, तेज सिरदर्द होना, खांसी आना, कमजोरी महसूस करना,दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा, गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना,नींद न आना, ज्यादा थकान आदि लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरते हैं। इस साल इंसानों में जो स्वाइन फ्लू का संक्रमण हुआ है,वह तीन अलग-अलग तरह के वायरसों के सम्मिश्रण से उपजा है। फिलहाल इस वायरस के उद्गम अज्ञात हैं।
अवश्य रखें ये सावधानियां:
सामान्य एन्फ्लूएंजा के दौरान रखी जाने वाली सभी सावधानियाँ इस वायरस के संक्रमण के दौरान भी रखी जानी चाहिए। बार-बार अपने हाथों को साबुन या ऐसे सॉल्यूशन से धोना जरूरी होता है जो वायरस का खात्मा कर देते हैं। नाक और मुँह को हमेशा मॉस्क पहन कर ढँकना जरूरी होता है। इसके अलावा जब जरूरत हो तभी आम जगहों पर जाना चाहिए ताकि संक्रमण ना फैल सके।

यह है इलाज(swine flu treatment) :
संक्रमण के लक्षण प्रकट होने के दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल ड्रग देना जरूरी होता है। इससे एक तो मरीज को राहत मिल जाती है तथा बीमारी की तीव्रता भी कम हो जाती है। तत्काल किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती कर दें ताकि पैलिएटिव केअर शुरू हो जाए और तरल पदार्थों की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती रह सकें। अधिकांश मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।

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