जयकरण खांबरा से कहीं अधिक शातिर है। वह हेवी व्हीकल का फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस लेकर ग्यारह मील, मिसरोद में ढावों-ट्रांसपोर्टर के दफ्तरों के आस-पास शिकार तलाशता था। महेश शर्मा का ट्रक उसने ऐसे ही गायब किया था। पूछताछ में उसने बताया कि घटना के तीन दिन पहले वह एक ढाबे के पास विष्णु तिवारी से मिला। विष्णु ट्रांसपोर्टरों के लिए काम करता है। जयकरण ने विष्णु को बताया कि वह कई दिनों से खाली बैठा है। कोई ट्रक में ड्राइवरी दिला दो..। विष्णु ने ट्रांसपोर्टर महेश शर्मा को फोन किया। महेश ने उसे अपना 14 पहिया ट्रक सौंप दिया। महेश ने अपने नौकर प्रहलाद को जयकरण के साथ मंडीदीप से चावल लोड कर पुणे के लिए साथ भेजा। लेकिन तबीयत खराब होने के कारण वह गाड़ी से उतर गया। जयकरण अकेले पुणे गया। वहां से शक्कर लोड कर भोपाल के लिए रवाना हुआ। इसी बीच उसकी फोन पर खांबरा से बात हुई। खांबरा व तुकाराम जयकरण को मालेगांव में मिले। तीनों ट्रक लेकर ग्यारह मील पहुंचे। जहां खांबरा ने जयकरण को उतार और तुकाराम के साथ ट्रक लेकर कानपुर पहुंच गया। यहां करीब चार लाख में शक्कर बेची। इसके बाद ट्रक को कटवाने के लिए सुल्तानगंज के जंगल में लेकर पहुंचे। इसी बीच जयकरण को पुलिस ने भोपाल से दबोच लिया। जयकरण से जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसने खांबरा, तुकाराम का नाम उगल दिया।
गिरोह के मास्टर माइंड आदेश खांबरा को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। पुलिस अब उससे भावनात्मक रूप से पेश आती है। पुलिस जब उससे गुनाहों के बारे में पूछती है तो उसे हत्याएं याद ही नहीं रहती। जब पुलिस उसे घटनास्थल बताती है तब कहीं जाकर वह बता पता है कि हां हमने इस इलाके में हत्या की थी। मंगलवार को तीन हत्याओं के खुलासे के पहले भी वह टाला-मटोली कर रहा था। जब एएसपी दिनेश कौशल ने उससे इन घटनाओं का घटना स्थल बताया तो उसने हां में जवाब देकर तीनों हत्याएं कबूल लीं। इसके बाद वह एएसपी से बोला कि साहब गुनाह कबूलने से अब मन हल्का लग रहा है। एएसपी कौशल ने बताया कि खांबरा बातचीत में मास्टर है।