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भोपाल

प्रेशर की बजाए स्टडी पर फोकस कर क्रेक की एग्जाम

द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ने फाउंडेशन लेवल का रिजल्ट किया घोषित

भोपालFeb 22, 2019 / 09:11 am

hitesh sharma

history subject tips and tricks

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भोपाल। द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी(आइसीएसआइ) ने गुरुवार को एंट्री लेवल एग्जाम फाउंडेशन का रिजल्ट घोषित किया। टॉप-25 में शहर से 13 स्टूडेंट्स ने जगह बनाई है। मुस्कान साहू 352 माक्र्स शहर में पहली और ऑल इंडिया में थर्ड रैंक हासिल की है। वहीं, 12वीं रैंक पर ईशा लोवलेकर 334 और अश्विनी सोमकुंवर 334 की है। तीसरे स्थान पर हर्षा रमानी 332 और सौम्या जैन 332 ने हासिल की है। इस परीक्षा में शहर के 131 स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। जिसमें से 95 स्टूडेंट्स ने फाउंडेशन एग्जाम पास किया है।


छह माह की तैयारी में एग्जाम किया क्रेक
छह माह की तैयारी कर मैंने यह एग्जाम क्रेक किया है। पेरेंट्स ने मुझे अपनी पसंदीदा फील्ड चुनने की आजादी दी थी। एग्जाम को लेकर किसी तरह प्रेशर न होने की वजह से टॉप रैंक हासिल करने में मदद मिली। मैंने कोचिंग जॉइन की थी लेकिन आइसीएआइ का स्टडी मटेरियल भी बहुत अच्छे से पढ़ा।
मुस्कान साहू , एआइआर-3

पापा और भाई हैं सीए
मेरे पापा और भाई दोनों चार्टर्ड एकाउंटेंट है। उन्हें हार्ड वर्क करते हुए देखा तो लगा कि मुझे कंपनी सेक्रेटरी का ऑप्शन चुनना चाहिए। सीए के मुकाबले सीएस थोड़ा आसान है। अब एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम के लिए तैयारी शुरू करूंगी।
ईशा लोवलकर, एआइआर-12

11वीं से शुरू की तैयारी
चार सब्जेक्ट्स फाउंडेशन में आते हैं, जिसमें से इकॉनोमिक्स और एकाउंट्स की 80 फीसदी तैयारी 11 वीं व 12 वीं का सिलेबस यदि अच्छे से पढ़ा है तो काफी आसानी होती है। कंपनी लॉ और मैनेजमेंट के लिए कोचिंग की। कंपनी लॉ नया विषय है। कम्युनिकेशन स्किल्स और इंग्लिश के लिए मैनजमेंट का पेपर तैयार करना होता है।
हर्षा रामानी, एआइआर-13

मैथ्र्स के कारण चुना सीएस
मुझे मैथ्स से थोड़ा परेशानी होती है इसलिए सीए कोर्स करने की बजाए सीएस चुना। बारहवीं में मैथ्स ऑप्शनल नहीं लिया था इसलिए भी प्रैक्टिस छूट गई थी। यही सोचकर सीएस लिया। मेरी थ्योरी पर पकड़ अच्छी है जो कि सीएस में काम आएगी।
अनुश्री अग्रवाल, एआइआर- 15

पिछले पांच साल के पेपर्स किए सॉल्व
इकॉनोमिक्स में स्टेटिस्टिक पार्ट प्रैक्टिकल होता है और एकाउंट्स लेकिन सभी ऑब्जेक्टिव टाइप सवाल होते हैं। मैंने कोचिंग के अलावा स्कैनर्स की मदद ली थी जिससे पिछले सालों के पेपर्स सॉल्व करती थी ताकि स्पीड और एक्यूरेसी आए।
चहक मोटवानी, एआइआर-17

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