हर साल की समस्या, जनता परेशान
खुदाई से सड़कें खराब होने की समस्या हर साल होती है। इसके संबंध में सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है। खुदाई के बाद सड़कें दुरूस्त नहीं करने पर कोई बड़ी कार्रवाई के प्रावधान नहीं होने से कंपनियां गंभीरता से नहीं लेती हैं। इसके अलावा रिपेयरिंग में जो मटेरियल यूज करते हैं वो काम चलाऊ होता है। इससे कंपनियां तो उसे बना देती हैं, लेकिन ये कितने दिन तक चलती हैं इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती है। इसके लिए सरकार बकायदा एक्ट लागू नहीं करेगा तब तक इसमें सुधार होना मुश्किल है।
विभागों में आपस में समन्वय नहीं
लोक निर्माण, नगर निगम, प्राधिकरण सहित अन्य सड़क निर्माण एजेंसियों में आपस में समन्वय नहीं होने का खामियाजा जनता को उठाना पड़ता है। सड़कें खुदने के बाद जब आम जनता शिकायतें करती है तो पता यह चलता है कि ये सड़कें तो फलां एजेंसी के अधीन है। इससे जनता सड़कें ठीक कराने के लिए एजेंसियों के दरबाजे -दरबाजे घुमती हैं।
खुदाई और बारिश से खराब हुई सड़कों का अंतिम डाटा इसी हफ्ते आ जाएगा। इसके बार खुदाई में खराब हुई सड़कों के निर्माण की लागत रा?शि संबं?धित एजेंसी से लिया जाएगा।
नरेन्द्र कुमार, ईएनसी, लोक निर्माण विभाग