राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद उसके पुत्र जनमेजय king janmejay ने पिता की मृत्यु के प्रतिशोध स्वरूप नाग यज्ञ करवाया। इसमें सभी प्रकार के नागों का हवन किया गया। यह नाग यज्ञ जहाजपुर के निकट किया गया है; इसका नाम यज्ञ पुर रहा बाद में अपभ्रंश होते हुए यजयपुर,जजयपुर और फिर जहाजपुर हो गया। जहाजपुर से दक्षिण-पूर्व में करीब डेढ़ मील के अंतराल पर नागोला तालाब है। जहां जन्मेजय के नाग यज्ञking janmejay Provided was nag yagya का होना माना जाता है। आज भी इस स्थान पर नाग देवता की मूर्ति लगी हुई है। नागोला तालाब से एक छोटी नदी निकलती है जिसका नाम नागदही है। जहाजपुर कस्बा इसी नदी के किनारे बसा हुआ है।