विकासखंड घोड़ाडोंगरी अंतर्गत ऐसे भी स्कूल है जहां घने जंगलों की पहाड़ी से होकर बच्चें स्कूल पहुंचते हैं। जंगली जानवरों का डर हर समय बना रहता है। फिर भी शिक्षा के लिए आदिवासी वनग्रामों के बच्चें महिने में सात या आठ दिन ही स्कूल पढऩे जरूर पहुंचते हैं। बच्चों ने बताया कि स्कूल जाते समय घने जंगल से होकर जाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि गांव में स्कूल नहीं होने के कारण पढ़ाई करने के लिए दूसरे गांव पढऩे के लिए आत हैे।
घोड़ाडोंगरी विकासखंड का भंडारपानी आखिरी गांव है। इसके बाद होशंगाबाद जिला प्रारंभ हो जाता है। भंडारपानी के बच्चें शिक्षा ग्रहण करने इमलीखेड़ा पहुंचते हैं। यहां के प्राथमिक शाला परिसर में हैंडपंप है। जिसमें पानी भी पर्याप्त है। लेकिन कुछ दूरी पर माध्यमिक शाला है। जहां शाला परिसर में लगा हैंडपंप फरवरी माह में ही सूख गया है। स्कूली बच्चें घर से ही बॉटल में पानी लेकर पहुंचते हैं। खासबात यह है कि यह स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे हैं। यहां समस्या तो कई है। लेकिन कोई भी कुछ भी कहने से डरते हैं।