प्रात: 4 बजे से भक्तों व संतों का आना हुआ शुरू यहां पार्थिव देह यात्रा में भक्त महाराज के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। वहीं महाराज के अन्तिम दर्शन पाने के लिए मन्दिर में शनिवार शाम से ही भक्तों व संतों का आना शुरू हो गया था। जो महाराज के अन्तिम संस्कार के बाद जाना शुरू हुआ। मन्दिर में प्रात: 4 बजे से भक्तों के दर्शनों के लिए महाराज को झूला महल में विराजमान किया। म
न्दिर में 4 बजे से 11 बजे तक महाराज के दर्शनों की बड़ी तादात में भीड़ लगी रही। भीड़ इतनी थी की लोग पार्थिव देह यात्रा में ही महाराज के दर्शन कर पाए।
झूला महल से शुरू हुई अंतिम यात्रा सवा 11 बजे मन्दिर से महाराज की यात्रा झूला महल से शुरू हुई। जो त्रिवेणी मोड़ से साईवाड़ मोड, देवीपुरा मोड़, त्रिवेणी मुख्य द्वार से आश्रम के पास तक बैण्ड बाजे के साथ निकाली गई। पार्थिव यात्रा में भक्त महाराज के जयकारें के साथ रामनाम का जाप करते हुए चल रहे थे।
तीन किमी तक भक्तों की कतारें भक्तों का इतना जन सैलाब था कि त्रिवेणी धाम से लेकर साईवाड़-मोड़ व त्रिवेणी मुख्य मन्दिर तक भक्तों की करीब ३ किलोमीटर तक कतारें लगी रही। वहीं त्रिवेणी धाम में नीचे जगह नहीं मिलने पर लोग मन्दिर व धर्मशाला भवनों की छतों व पेड़ों पर चढ़ गए। पार्थिव देह यात्रा के बाद सवा १ बजे महाराज का पूर्व विधि विधान से अन्तिम संस्कार किया गया।
शाहपुरा, अजीतगढ़ व कई जगह बाजार रहे बंद इधर, महाराज के देवलोक गमन होने से शाहपुरा, अजीतगढ़ समेत आसपास के गांवों में बाजार भी पूर्ण रुप से बंद रहे। बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। महाराज के देवलोक गमन के बाद से आस-पास के गांवों के घरों में चूल्हे भी नहीं जले। महाराज के अन्तिम संस्कार के बाद ही घरों में चूल्हे जलाए गए।