scriptदया व क्षमा शब्दों में नहीं आचरण में लाना होगा | Dharmik News | Patrika News
बैंगलोर

दया व क्षमा शब्दों में नहीं आचरण में लाना होगा

आचार्य देवेन्द्र सागर के प्रवचन

बैंगलोरJul 18, 2019 / 09:10 pm

Rajendra Vyas

religion

दया व क्षमा शब्दों में नहीं आचरण में लाना होगा

बेंगलूरु. आचार्य देवेन्द्र सागर ने बुधवार को धर्मसभा में प्रवचन के दौरान कहा कि धर्म शब्द का वास्तविक अर्थ है वे नियम जिन पर चलने से समाज में नैतिकता व मानवता बनी रहे। धर्म के मूल स्तंभ है -दान, शील तप,भाव व क्षमा। धर्म के नियमों पर चलने के उपरांत मानव हृदय निर्मल हो जाता है तथा इस स्थिति में करुणा जन्म लेती है। करुणा के कारण दया व क्षमा का भाव जाग्रत होता है। इन दोनों गुणों के कारण मानव, मानव से प्रेम करने लगता है व दूसरों को दुख से निकालने की कोशिश करने लगता है। आज के समाज में चारों तरफ फैले हुए नैतिक पतन ने हमारे धर्म का असली अर्थ भुला दिया है। उन्होंने कहा कि दया व क्षमा का वर्तमान समय में सर्वथा अभाव हो गया है। पौराणिक ग्रंथों में राक्षसों का वर्णन आया है। अरण्यकांड में राक्षसों की कुछ पहचान बताई है, जिनमें प्रमुख हैं लालच और हिंसा के साथ-साथ दूसरों के दुख में खुश होना, दूसरों की बुराइयों को 100 नेत्रों से देखना, दया व करुणा का सर्वथा अभाव इत्यादि। इन तमाम अवगुणों के कारण समाज में अव्यवस्था, हिंसा व घृणा फैलाने वाले कुछ लोग एक आम मानव को कष्ट पहुंचा रहे हैं, जैसा कि पौराणिक समय में राक्षस किया करते थे। आइए समाज में प्रेम, करुणा व दया को जीवन में प्रमुखता प्रदान करते हुए एक बार फिर प्रेम की गंगा बहाएं तथा मानव के प्रति सौहार्द बढ़ाएं।

Home / Bangalore / दया व क्षमा शब्दों में नहीं आचरण में लाना होगा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो