श्रमिकों का हो रहा आर्थिक शोषण
पाढऱवानी (मिरगपुर) मैंगनीज खदान का मामला , श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुरूप नहीं मिल रही दैनिक मजदूरी
श्रमिकों का हो रहा आर्थिक शोषण
बालाघाट. खैरलांजी क्षेत्र के पाढऱवानी (मिरगपुर) में संचालित मैंगनीज खदान में श्रमिकों का लंबे समय से आर्थिक शोषण किया जा रहा है। यहां काम करने वाले श्रमिकों को खदान मालिक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा तय की गई न्यूनतम दैनिक मजदूरी दर का केवल आधा पैसा ही दे रहा है। इसके अलावा श्रमिकों को प्रोत्साहन बोनस भी कम दिया जा रहा है। लेकिन रोजगार तथा जानकारी के अभाव में श्रमिक मजबूरी में बेहद कम दैनिक मजदूरी में काम कर रहे है। गौरतलब हो कि मंत्रालय ने अकुशल तथा अद्र्धकुशल श्रमिकों के लिए 3 श्रेणियंा बनाई है। इन तीनों श्रेणियों में काम करने वाले श्रमिकों को न्यूनतम साढ़े 3 सौ रुपए से 4 सौ रुपए दैनिक मजदूरी का प्रावधान है। लेकिनप पाढऱवानी खदान में महिला एवं पुरूष श्रमिकों को 100 से 150 और 200 रुपए की दैनिक मजदूरी दी जा रही है।
नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर पाढऱवानी मैंगनीज खदान में काम करने वाले एक श्रमिक ने बताया कि उनके द्वारा पूर्व में कई बार इस संबंध में चर्चा की गई। लेकिन काम से निकाल देने का डर बनाकर मात्र 10 से 15 रुपए की मजदूरी बढ़ाई गई। बहरहाल, श्रमिकों के बताए अनुसार एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि खदान मालिक भारत के श्रम कानून न्यूनतम मजदुरी अधिनियम की अवहेलना कर रहा है तथा दिन भर पसीना बहाने वाले मजदूरों का आर्थिक शोषण भी हो रहा है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि श्रमिक संगठन की ताकत के सामने बड़े-बड़े उद्योगपति कमजोर पड़ते हंै। लेकिन शायद इस मैंगनीज खदान में मजदूर संगठन के पास कोई ताकत ही नहीं बची है। यहां काम करने वाला मजदूर अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है और रोजगार देने वाला मालिक श्रमिकों का शोषण कर रहा हैं।
जानकार ताजुब होता है कि खदान में काम करने वाले श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार के पास बकायदा एक मंत्रालय तथा विभाग है। मगर, फिर भी खदान मालिक श्रमिकों का शोषण को रोक नहीं पा रही है। मॉयल जनशक्ति मजदूर संघ अध्यक्ष रामकृपाल खुरसैल ने बताया कि अधिकारियों से सांठ-गांठ कर खदान मालिक अपनी मनमानी कर रहे हैं। पाढऱवानी खदान तो महज इसका एक छोटा सा उदाहरण भर है। उन्होंने बताया की खदान मालिक और ठेकेदार मिलकर श्रमिकों की कम हाजरी दर्शाते है। जिससे उन्होंने प्रोत्साहन बोनस भी कम दिया जाता है। कई खदानों में तो मालिक देते भी नहीं है।
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