बता दें कि विपक्ष की घेरेबंदी और गठबंधन की चर्चाओं के बीच भाजपा को यह विश्वास है कि जिस तरह वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उज्ज्वला योजना का लाभ उसे मिला था और गरीब लोग उसके साथ खड़े हुए थे। उसी तरह मुफ्त में बिजली कनेक्शन और पांच लाख तक फ्री उपचार मिलने पर लोग 2019 के चुनाव में मदद करेंगे। सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हों। साथ ही भाजपा जिला इकाई को गांवों में बैठक कर लोगों को योजनाओं के प्रति जागरूक करने के लिए भी लगाया गया है। भाजपाई तो अपना काम कर रहे हैं लेकिन अधिकारी बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि चार दिन पूर्व जब आयुक्त ने आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा की तो पता चला चला किय योजना के तहत 22 अक्टूबर तक मण्डल में मात्र 18 मरीजों का ही पंजीकरण हुआ है, जिसमें आज़मगढ़ में 6, मऊ में 4 एवं बलिया 8 मरीज शामिल हैं। आबादी के दृष्टि से आजमगढ़ मंडल का सबसे बड़ा जिला है और यहां सीएम योगी और स्वस्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के सबसे करीबी सीएमओ तैनात है। जिनके खिलाफ गोरखपुर में बड़ी वारदात के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई थी। वे भी इस योजना पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
समीक्षा के बाद मंडलायुक्त ने कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया था। साथ ही अपर निदेशक स्वास्थ्य को चेतावनी निर्गत की थी। इसके बाद भी अधिकारी अब तक कोई प्रगति नहीं कर पाये है। छुट्टी का बहाना बनाकर काम से पल्ला झाड़ा जा रहा है। इसका सीधा नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है। रहा सवाल बीजेपी संगठन का तो वे आपसी खींचतान और गुटबाजी में व्यस्त है।
BY- RANVIJAY SINGH