बता दें कि आजमगढ़ जिला ऐसे भी सपा बसपा का गढ़ कहा जाता है। राम लहर और मोदी लहर को छोड़ दिया जाय तो बीजेपी का प्रदर्शन यहां हमेंशा खराब रहा है। अतिपिछड़ों की पार्टी के प्रति लामबंदी से बीजेपी का मत प्रतिशत जरूर बढ़ा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी दस साल बाद केंद्र की सत्ता में लौटी थी तो 2017 के विधानसभा चुनाव में 14 साल बाद न केवल यूपी की सत्ता में लौटी बल्कि प्रचंड बहुमत हासिल किया।
यह बीजेपी की अब तक की सबसे बड़ी जीत है। बीजेपी सवर्ण, अति पिछड़ों और कुछ प्रतिशत दलित एवं अल्पसंख्यकों के दम पर वर्ष 2019 में दोबारा केंद्र की सत्ता हासिल करना चाहती है। वहीं सपा को भी एहसास है कि पिछले दो चुनाव में उसकी हार की वजह क्या है। पार्टी जानती है कि बिना अति पिछड़ों के सहयोग के पार्टी का कोई भविष्य नहीं है। यही वजह है कि पार्टी बसपा से गठबंधन के बाद भी पूरा फोकस संगठन को मजबूत बनाने पर कर रही है।
इसी के तहत समाजवादी विकास विजन व सामाजिक न्याय कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पहले यह कार्यक्रम 14 दिन का था लेकिन अब इसे नियमित रूप से तब तक चलाने का फैसला किया गया है जबतक पार्टी के नेता हर गांव में अति पिछड़ों तक पहुंच नहीं बना लेते है। इससे बीजेपी की मुश्किल बढ़नी तय है। कारण कि अगर एक दो प्रतिशत भी अति पिछड़े बीजेपी का साथ छोड़ते है तो पार्टी के लिए गठबंधन को चुनौती देना मुश्किल होगा। यहीं वजह है कि पार्टी सपा के इस दाव का काट खोजने में जुटी है।
By Ran vijay Singh