वह बताते हैं इस योजना की कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के परियोजना प्रबंधक विनय जैन का पत्र उन्हें मिला है। इस पत्र में सूचना दी गयी है कि निदेशक पर्यटन ने दीवार पर लेजर-शो के लिए स्क्रीप्ट का अनुमोदन कर दिया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा पत्र में पर्दे को हटाए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। उन्होंने बताया कि कार्यदाई संस्था को परियोजना के मद में एक किस्त का भुगतान पहले किया गया था लेकिन मार्च 2024 में दूसरी किस्त का भुगतान नहीं किया गया है।
उधर, यूपीपीसीएल के परियोजना प्रबंधक जैन से पूछने पर वह इतना बताते हैं कि पर्दे की सुरक्षा संभव नहीं हो पा रही थी। बताया जाता है कि आए दिन यह पर्दा बंदरों का निशाना बन रहा था। इसके कारण कार्यक्रम बाधित होता था। बताया गया कि पर्दे का मेंटेनेंस बहुत खर्चीला है जिसको कार्यदाई एजेंसी वहन नहीं कर पा रही थी।
उधर एशिया के सबसे पर्दे पर लेजर-शो कराने का दावा फुस्स हो गया है। इस दो सौ फिट पर्दे को लगाने के लिए करीब फिट ऊंचे और आठ-आठ फिट चौड़े आयताकार पोल लगाए थे। इन पोल को लगाने के लिए दस फिट गहरी नींव खोदकर सीमेंट व पत्थरों से ग्राउटिंग भी की गयी थी। राम पैड़ी नहर के किनारे के घाटों के प्लेटफार्म की खुदाई के लिए ड्रिलिंग मशीन का प्रयोग कर महीनों की मशक्कत की गई थी। इसका स्थानीय नागरिकों ने विरोध भी किया लेकिन जिला प्रशासन के दबाव में काम पूरा हो गया।
अब जब सबकुछ हटा दिया गया है तो इसकी जवाबदेही तय नहीं हो पा रही है कि करोड़ों का अनावश्यक व्यय किसके मत्थे मढ़ा जाए। फिलहाल यहां संचालित किसी योजना के बारे में कोई सूचना देने के लिए कोई भी अधिकारी तैयार नहीं है। अधिकारी यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि वह बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है।