व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से सतुंष्ट नहीं हैं। बयान में कहा गया है कि ट्रंप का स्पष्ट निर्देश है कि अमरीका के पाकिस्तान के साथ
रिश्ते उसके आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के आधार पर ही तय होंगे।
व्हाइट हाउस के डिप्टी सेकेट्ररी राज शाह के अनुसार- यह पहली बार हुआ है कि पाकिस्तान को उसके एक्शन के आधार पर देखा जा रहा है। अमरीका की ओर से पाकिस्तान को लगातार आतंकवाद के खिलाफ कड़ी काईवाई करने को कहा जा चुका है। लेकिन अब तक पाकिस्तान ने जो भी कार्रवाई की है, उससे अमरीका खुश नहीं है। बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान के पास क्षेत्र में शांति को स्थापित करने का अच्छा मौका है। यदि पाकिस्तान ऐसा करता है तो यह उसके लिए भी अच्छा होगा।
गौर हो, भारत और अमरीका के दबाव में आकर पाकिस्तान ने अब तक की बड़ी कार्रवाई करते हुए हाल ही में आतंकी हाफिज सईद के संगठनों जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन से जुड़े दर्जनों ट्रकों, स्वीमिंग एकेडमी, मार्शल आर्ट्स स्कूलों और इन जगहों पर
काम करने वाले हजारों कर्मचारियों को अपने नियंत्रण में लिया था।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों के अनुसार- पिछले कुछ समय से अमरीका ने पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के मुद्दे को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है। इससे पहल राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जा आर्थिक सहायता पर रोक लगाई थी। इसके तहत लगभग 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद रोकी गई थी।
अमरीका काफी पहले से पाकिस्तान को आतंकवाद को समर्थन करने वाले देशों की सूचि में शामिल कर चुका है। यही नहीं हाफिस सईद को भी अमरीका की ओर से आतंकवादी घोषित किया गया है।
अमरीका और यूरोपियन देशों की फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) भी पाकिस्तान पर लगातार नजर है। टस्क फोर्स का काम उन देशों की फाइनेंशियल गतिविधियों पर नजर रखना है, जिन पर आतंकी गतिविधियों के समर्थन का आरोप लगता है। FATF की ग्रे लिस्ट में 2012 में पाकिस्तान का नाम भी शामिल है।
जानकारों का मानना है आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकियों को प्राश्रय देने के आरोपों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि धूमिल हुई है। पाकिस्तान अब अपनी छवि को सुधारने का प्रयास कर रहा है। इस कार्रवाई को भी इसी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि संगठनों पर बैन लगाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी धूमिल हुई छवि में सुधार आएगा। ऐसा न करने पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से पहले ही पाकिस्तान पर कई तरह के बैन लगाए जा चुके हैं।
बता दें, आतंकी संगठन लशकर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज को संयुक्त राष्ट्र की ओर से भी आतंकवादी करार दिया गया है। उस पर 10 मिलियन डॉलर का ईराम भी रखा गया है। इसलिए पाकिस्तान में भी 2012 में लशकर-ए-तैयबा पर बैन लगा दिया गया था।