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अलवर

इंजीनियरिंग कॉलेज में नए विषयों की कमी

जिले के इंजीनियरिंग कॉलेज में नए विषयों की कमी के चलते अब विद्यार्थियों का रूझान अब इंजीनियरिंग विषयों में घटता जा रहा है। नए विषयों की कमी होने के कारण जिले के विद्यार्थी अन्य जिलों व दूसरे राज्यों में प्रवेश ले रहे हैंं। अलवर जिले में आठ साल पूर्व करीब 9 इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित होते थे जो अब घटकर तीन या चार ही रह गए हैं। इतना ही नहीं साल दर साल इंजीनियरिंग करने वाले के विद्यार्थियों की संख्या भी कम होती जा रही है।

अलवरApr 24, 2019 / 10:33 pm

Hiren Joshi

Lack of new topics in Engineering College

इंजीनियरिंग कॉलेज में नए विषयों की कमी

अलवर जिले के इंजीनियरिंग कॉलेज में नए विषयों की कमी के चलते अब विद्यार्थियों का रूझान अब इंजीनियरिंग विषयों में घटता जा रहा है। नए विषयों की कमी होने के कारण जिले के विद्यार्थी अन्य जिलों व दूसरे राज्यों में प्रवेश ले रहे हैंं। अलवर जिले में आठ साल पूर्व करीब 9 इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित होते थे जो अब घटकर तीन या चार ही रह गए हैं। इतना ही नहीं साल दर साल इंजीनियरिंग करने वाले के विद्यार्थियों की संख्या भी कम होती जा रही है।
नए कोर्सज नहीं आने से अब विद्यार्थी दूसरे राज्यों में आधुनिक ट्रेड में इंजीनियरिंग करने के लिए जा रहे हैं। सबसे बडी परेशानी यह आ रही है कि इंडस्ट्रीयल इंडस्ट्री की जरुरत के अनुसार युवा नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में कंपनियों में पद भी कम योग्यात वाले बच्चों से भरे जा रहे हैं। कॉलेज संचालकों का कहना है कि पिछले काफी समय से अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद की ओर से कोई नवाचार नहीं किया गया है। जबकि समय की मांग के अनुसार नवाचार की बहुत जरुरत है। अच्छे कोर्स नहीं होने के कारण पिछले दो सालों में इंजीनियरिंग करने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम हो गई है।

अलवर से बाहर जा रहे हैं युवा
वर्तमान में अलवर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिविल इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल, कम्प्यूटर साइंस आदि की ही ब्रांच संचालित की जा रही है। जबकि अन्य राज्यों मेंं इंडस्ट्रीयल इंडस्ट्री, एनवायरमेंट इंजीनियरिंग, सोलर एनर्जी, टैक्सटाइल टेक्नॉलॉजी सहित अन्य ब्रांच संचालित की जा रही है जो आज की जरुरत भी है। यहां के युवा अच्छी ब्रांच नहीं होने पर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं।
युवाओं की परेशानी

इंजीनियरिंग यह सोच कर की थी कंपनियों में अच्छे जॉब मिल जाएंगे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। जॉब तो मिल रहे हैं लेकिन पैकेज नहीं मिल रहे हैं। योग्यता के अनुसार पैकेज मिले तो काम करने में भी आनंद आता है।

प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या – 120 से 130

बीटेक एमटेक में अध्ययनरत विद्यार्थी – लगभग 1 लाख

अलवर जिले में वर्तमान में संचालित कॉलेज – 4

जिले में इंजीनियिरिंग करने वाले विद्यार्थियों की संख्या – लगभग 600
अभी हो रही है शुरुआत
राजस्थान के कॉलेजों में भी इंजीनियरिंग में नई ब्रांच जैसे फूड टैक्नोलोजी, माइनिंग, फैशन डिजायनिंग व पेट्रोलियम के कोर्स शुरु किए हैं, लेकिन अलवर में इसकी डिमांड अभी कम है। जो ब्रांच वर्तमान में चल रही है इसमें भी निजी सैक्टर के अलावा सरकारी क्षेत्र में जॉब खूब मिल रहे हैं।
राजेश भारद्वाज,

डायरेक्टर, एलआईईटी कॉलेज, चिकानी

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