यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल तथा न्यायमूर्ति आर.आर.अग्रवाल की खण्डपीठ ने सत्यभागा, कृष्णा व तारा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता डी.एस.मिश्र व चन्द्रेश मिश्र ने बहस किया। याचीगण का कहना है कि छापे के बाद एसडीएम सदर ने 20 अप्रैल 16 को मकान की जब्ती का आदेश दिया और याचियों को बेदखल कर दिया। अधिनियम की धारा 18 के अन्तर्गत एक साल के लिए मकान सीज किया जा सकता है। यदि नाबालिग की बरामदगी हुई हो तो ही मकान तीन साल के सीज किया जा सकता है। याचीगण के मकानों से नाबालिग की बरामदगी नहीं की गयी, जो भी बरामदगी हुई है वह एक मई 16 के बाद हुई है। कोर्ट ने जब्ती अवधि बीत जाने के बाद आदेश रद्द कर दिया है।