बात हो रही है पोरबंदर में जन्मे रिजवान आड़तिया (४८) की जो हाल में अफ्रीकी देश मोजाम्बिक के मपूतो शहर में रहते हैं। रिजवान ने बताया कि सितम्बर में उनकी माता की पुण्यतिथि है। इस महीने को वे बुजुर्गों के साथ रहकर मनाते हैं। लगभग ढाई हजार भारतीय लोगों को अफ्रीकी देशों में बसा चुके रिजवान १८ सितम्बर को अहमदाबाद व अन्य वद्धाश्रमों से तीस बुजुर्ग महिलाओं और २० पुरुषों को अपने खर्च पर विदेश की सैर कराऐंगे। उनके अनुसार इन बुजुर्गों को १८ सितम्बर को प्लेन से सिंगापुर ले जाया जाएगा और वहां से क्रूज में मलेशिया और उसके बाद फिर से सिंगापुर लाया जाएगा। यह टूर आठ दिन का होगा।
पोरबंदर में मूंगफली बेचते थे पिता
४८ वर्षीय रिजवान बताते हैं कि उनके पिता नूरुद्दीन ने पोरबंदर में मूंगफली बेचकर सात भाई बहनों का पालनपोषण किया था। आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई में भी रुची नहीं होने के कारण रिजवान दसवीं में अनुत्तीर्ण हो गए। बीच में से ही पढ़ाई छोडक़र वे सत्रह वर्ष की आयु में अफ्रीका चले गए। ईश्वर (खुदा) में आस्था रखने वाले रिजवान को धार्मिक पुस्तकें पढऩे में भी काफी रुची है।
अफ्रीका में छोटी सी मजदूरी शुरू हुए काम के बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा। आज उनके पास साढ़े तीन हजार लोग काम करते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही वे विदेश में रहते हैं लेकिन उनका दिल हमेशा भारत में बसा हुआ है। आगामी दिनों में वे म्यूजिकल कार्यक्रम कर फंड एकत्र करेंगे जिसे सीनियर सिटीजन के विकास में भी अहम योगदान देते हैं।
बुजुर्गों को जीवन साथी की खोज में मदद
रिजवान को अहमदाबाद स्थित बिना मूल्य अमूल्य सेवा (अनुबंध फाउंडेशन) की कार्यप्रणाली भी काफी रास आई है। इस संस्था के चेयरमैन नट्टूभाई पटेल और भारतीबेन रावल के साथ मिलकर उन्होंने कई ऐसे कार्यक्रम किए हैं जिनसे बुढ़ापे में जीवन साथी ढूंढने में आसानी हो। इस तरह के सम्मेलन भी वे करवा चुके हैं।
४१९ मूकबधिर बच्चों को मिली आवाज
रिजवान जरूरतमंदों की मदद को भी पीछे नहीं हैं। वे जूनागढ़ के मालिया हाटीना गांव को गोद ले चुके हैं। अब तक भारत में १२ डायालिसिस मशीनें भी दान दी हैं। उन्होंने ४१९ ऐसे बच्चों को आवाज देने में मदद की है जो जन्म से मूकबधिर हैं। मात्र पांच ही दिनों में संस्थाओं के साथ इन सभी का कोकलियर इम्पलांट करवाया और इसके लिए उन्होंने यूरोप से २५ चिकित्सकों की टीम बुलाई। अगले वर्ष उनकी योजना एक हजार बच्चों को आवाज की दुनिया में लाना है। सामाजिक गतिविधियों में उनक ी पत्नी भी प्रोत्साहित करती हैं। अपने देश से लगाव ऐसा है कि अहमदाबाद रह रहीं धर्म की बहन भारतीबेन रावल से राखी बंधवाने के लिए वे समन्दरों को लांघ कर यहां आए हैं।