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बहुत ही छोटा ये उपाय करने से डायबिटीज की दवा हो जाएगी बंद, मधुमेह के मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत

locationआगराPublished: Oct 13, 2019 11:59:28 am

उत्तर प्रदेश डायबिटीज एसोसिएशन की कार्यशाला में टाइप टू रिवर्सबल डायबिटीज पर चर्चाप्रारम्भिक डायबिटीज में 10 से 15 किलो वजन कम करने से पेनक्रियाज से बनने लगता है इंसुलिन

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आगरा। डायबिटीज हो गई तो जिंदगी भर दवा खानी होगी, अब ऐसा नहीं है। डायबिटीज खत्म हो सकती है। बिना दवा के शुगर का स्तर भी नियंत्रित रख सकते हैं। शनिवार को होटल केएनसीसी फतेहाबाद रोड पर उत्तर प्रदेश डायबिटिक एसोसिएशन की कार्यशाला यूपीडाकॉन में विशेषज्ञों ने रिवर्स टाइप टू डायबिटीज पर मंथन किया। साथ ही डायबिटीज पर नई और बेहतर दवाओं के प्रभाव व प्रयोग के बारे में चर्चा की गई।
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इस तरह होता फायदा
डॉ एनके सिंह, नेशनल चेयरमैन रिसर्च सोसायटी स्टडी आफ डायबिटीज, झारखंड ने बताया कि देश विदेश में कई स्टडी हुई हैं। इसमें सामने आया है कि 10 से 15 किलो वजन कम करने से पेनक्रियाज की सेल इंसुलिन बनाना शुरू कर देती हैं। ऐसे में खाने में कम कैलोरी और फैट लिया जाए, साथ ही योगा और ब्रिस्क वॉक तेज चलना की जाए तो डायबिटीज रिवर्स हो सकती है। इसके बाद दवाएं नहीं लेनी होगी और शुगर का स्तर नियंत्रित रहेगा। यह टाइप टू डायबिटीज में संभव है। उन्होंने बताया कि यूके सहित कई देशों में स्टडी हुई हैं। वहीं, बेरियाट्रिक सर्जरी भी मोटापा कम कर डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए की जा रही है। मगर, इसके डायबिटीज की प्रारंभिक अवस्था में ही अच्छे रिजल्ट हैं। वहीं, अत्यधिक तनाव, नाइज पॉल्यूशन और फास्ट फूड के सेवन सहित आराम तलब जिंदगी से मधुमेह की समस्या बढा रही है।
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50 फीसदी किडनी व हृदय रोग का कारण डायबिटीज
डॉ एएच जारगर, श्रीनगर ने बताया कि 50 फीसद केस में किडनी फेल्योर, हार्ट अटैक और अंधता मधुमेह के कारण हो रही है। मगर, अधिकांश लोग इन गंभीर बीमारियों की जड़ मधुमेह को कंट्रोल और खत्म करने पर ध्यान नहीं दे रहे है। कार्यशाला में 60 से अधिक जूनियर डॉक्टरों ने मधुमेह पर रिसर्च पेपर प्रजेंट किए। जूनियर डॉक्टर और मेडिकल स्टूडेंट के लिए पोस्टर सहित कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई हैं। कार्यसाला में 300 से अधित विशेषज्ञों ने भाग लिया।
डायबिटीज की चपेट में सात करोड, दुबले पतले भी शिकार
श्री नगर के डॉ. जारगर ने बताया भारत डायबिटीज की कैपिटल बनता जा रहा है, सात करोड लोग मधुमेह से पीडित हैं। लोगों को भ्रम है कि मोटापे के शिकार लोगों को ही मधुमेह होता है। मगर, ऐसा नहीं है दुबले पतले भी मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं। कारण, केमिकल युक्त सब्जी व फल और प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ पेक होने से हानिकारक केमिकल शरीर में पहुंच रहे हैं। ये शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम को डैमेज कर रहे हैं, इससे इंसुलिन बनना कम होने के साथ ही काम भी नहीं करता है। इसके चलते समस्या बढ रही है।
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पदमश्री डॉ डीके हाजरा ने किया शुभारंभ
कार्यशाला का पदमश्री डॉ डीके हाजरा ने मांसरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर शुभारंभ किया। उन्होंने मधुमेह रोग से जुडी भ्रांतियों को दूर करने के लिए मरीजों से अधिक से अधिक संवाद करने के लिए चिकित्सकों को प्रेरित किया। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. पीके माहेश्वरी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए जायबिटिक न्यूपैथी पर चर्चा की। इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. पीके माहेश्वरी, सचिव डॉ. प्रभात अग्रवाल, डॉ. आशीष गौतम, डॉ. निखिल पुरसनानी, डॉ. एमएल पुरसनानी, डॉ. बीबी माहेश्वरी, डॉ. सुनील बंसल, डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ, डॉ. आरआर सिंह (झांसी), डॉ. अनुज माहेस्वरी (लखनऊ), डॉ. एनएस वर्मा, डॉ. बीके अग्रवाल, डॉ. प्रवीन गुप्ता, डॉ. सुनील गुप्ता आदि मौजूद थे।
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