वॉयज़र की चिप में आ गई थी गड़बड़ी
मार्च में नासा (NASA) की जेट प्रोपल्सन लैबोरेट्री के वैज्ञानिकों ने पाया कि वॉयजर की चुप्पी के लिए एक चिप में आई गड़बड़ी जिम्मेदार है। विशेषज्ञों ने नासा के 46 साल पुराने कंप्यूटर सिस्टम की इस चिप को नए कोड से ठीक किया। नासा के मुताबिक वॉयजर यान पढ़े जा सकने लायक संदेश भेजने की ओर लौट रहा है। अगला कदम यान को वैज्ञानिक डेटा भेजने लायक बनाना होगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वॉयजर-1 की बैटरी 2025 के बाद खत्म हो सकती है। उसके बाद भी वह आकाशगंगा में विचरता रहेगा।
2012 में पहुंचा था सितारों की श्रृंखला में
वॉयजर-1 को 1977 में लॉन्च किया गया था। इसने 2012 में इंटरस्टेलर मीडियम (सौरमंडल से बाहर सितारों की श्रृंखला) में प्रवेश किया। ऐसा करने वाला यह पहला अंतरिक्ष यान था। पृथ्वी से भेजे जाने वाले संदेश उस तक पहुंचने में करीब 22.5 घंटे लगते हैं। नासा ने 2018 में वॉयजर-2 नाम का उसका जुड़वां यान भी प्रक्षेपित किया। दोनों यान अंतरिक्ष में संभावित परग्रही जीवों के लिए संदेश लेकर गए हैं।
परग्रहियों के लिए ‘गोल्डन रिकॉर्ड’
पृथ्वी से अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले संदेशों को ‘गोल्डन रिकॉर्ड’ कहा जाता है। सोने की परत वाली 12 इंच की तांबे की डिस्क में संदेश को परग्रहियों के लिए रिकॉर्ड किया जाता है। गोल्डन रिकॉर्ड में हमारे सौरमंडल के नक्शे के साथ यूरेनियम का एक टुकड़ा भी है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यूरेनियम की उम्र से परग्रही पता लगा सकेंगे कि यान कब छोड़ा गया था। रिकॉर्ड को प्ले करने के लिए दिशा-निर्देश भी हैं।