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Iran-Israel War : पत्रिका ने पहले ही बता दिया था-ट्रिपल H करेगा हमला, और कर दिया इजराइल पर हमला, आर्मी हेड क्वार्टर पर दागे 35 रॉकेट

Iran-Israel War News in Hindi : ईरान-इजराइल में जारी तनाव ( Iran-Israel Conflict) के बीच मिसाइल की बौछारें हुई हैं और इस बार ईरान समर्थित हिजबुल्लाह (Hezbollah) ने इजराइल पर मिसाइल से हमला कर दिया है। हमास (Hamas) के सहयोगी और ईरान समर्थित हिजबुल्लाह (Hezbollah) ने दावा किया कि उसने इजराइल के आर्मी हेडक्वार्टर को निशाना बनाया बनाकर दर्जनों कत्युशा रॉकेट (Katyusha Rocket) से हमला किया है।

नई दिल्लीApr 23, 2024 / 12:49 pm

M I Zahir

Iran-Israel-War

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Iran-Israel War News in Hindi : आप Patrika.com नियमित पढ़ेंगे तो आपको ताजा घटनाक्रम की सही और पहले खबर मिलेगी और इस बार तो (Patrika.com) ने जंग की एक खबर सबसे पहले खबर ब्रेक की, जो सही निकली है। ईरान (Iran) और इजराइल ( Israel) के दरम्यान जंग (Iran-Israel War) शुरू होने से पहले से ही Patrika.com ने 15 अप्रेल 2024 को ” इजराइल के खिलाफ ईरान का ट्रिपल H प्लान” खबर दी थी, जिसमें बताया गया था कि हमास (Hamas), हिज्बुल्लाह (Hezbollah) और हूती (Houthi) ईरान के समर्थन में इजराइल पर हमला करेंगे और Patrika.com की यह खबर सही निकली। अब Patrika.com की बिग ब्रेकिंग न्यूज (Big Breaking News) यह है कि हिज्बुल्लाह ने ईरान के समर्थन में इजराइल पर हमला कर दिया है।

हमास ने हमले को सही ठहराया

Iran-Israel Tension News in Hindi : पहले इज़राइल और हमास जंग (Isreal-Hamas War )और अब इज़राइल और ईरान तनाव (Israel Iran Tension) के बाद दोनों देशों में युद्ध (Israel Iran War ) के हालात बनने के कारण दुनिया दो हिस्सों में बंटी हुई नज़र आ रही है। इससे तीसरे विश्व युद्ध (World War III ) के हालात बन रहे हैं। एक ओर जहां ईरान (Iran) अकेले इज़राइल (Israel) को ललकार रहा है, वहीं दूसरी ओर एक अरसे से फिलिस्तीन पर हमला कर उससे युद्ध (War) करने वाला इज़राइल, ईरान से मुकाबला करने के लिए पश्चिमी देशों की ओर देख रहा है। अब तो हमास ने भी ईरान के इज़राइल पर किए गए हमले को सही ठहराया है।

इजराइल के लिए मुश्किल हो गई

Iran-Israel Conflict News in Hindi : Patrika.com ने बताया था कि लंबे समय से इजराइल से जंग कर रहे फिलिस्तीन समेत इस्लामी दुनिया के तीन शक्तिशाली सैन्य और युद्धक आतंकवादी संगठन हिज़्बुल्लाह , हमास और हूती अगर मिल जाएं तो ईरान और फिलिस्तीन मिल कर उनकी मदद से इज़राइल को नाकों चने चबवा सकते हैं। अब ऐसा ही हुआ है। हिज़्बुल्लाह बहुत ताकतवर है और इजराइल के लिए मुश्किल हो गई है।

रोजाना सीमा पार से गोलीबारी

इजराइली सेना ( isrealian Army) और ईरान (Iran) समर्थित हिजबुल्लाह Hezbollah के बीच लगभग रोजाना सीमा पार से गोलीबारी हो रही है, लेकिन इस बार हिजबुल्लाह ने इजराइली सेना के हेडक्वार्टर को निशाना बनाया है। फिलहाल, इजराइल-ईरान तनाव Iran Israel conflict अब तक के उच्चतम स्तर पर है और इसी बीच लेबनानी शिया चरमपंथी समूह हिज्बुल्लाह Hezbollah ने सीमा पार इजराइली सैन्य ठिकानों पर अपने हमले तेज कर दिए हैं।

इन्फैंट्री ब्रिगेड के मुख्यालय पर बमबारी

हिज्बुल्लाह ने अपने बयान में कहा है कि उसने दर्जनों कत्युशा रॉकेटों के साथ इजराइली ईन जीटिम बेस पर 91वीं डिविजन के तीसरे इन्फैंट्री ब्रिगेड के मुख्यालय पर बमबारी की है । हिज्बुल्लाह का यह हमला लेबनान के दक्षिणी गांवों और नागरिक घरों पर इजराइली हमलों के जवाब में है और लेबनान की आधिकारिक राष्ट्रीय समाचार एजेंसी (एनएनए) ने सोमवार को तीन गांवों पर इजराइली हमले की सूचना दी थी।

किसी के हताहत होने की सूचना नहीं

उधर इजराइली सेना ने कहा कि लेबनान से उत्तरी इजराइल के ईन जीटिम क्षेत्र में प्रवेश करने वाले लगभग 35 रॉकेटों की पहचान की है और इस हमले में अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, वहीं इजरायली सेना ने आगे कहा कि उसकी सेना ने दागे गए रॉकेट के सोर्स पर हमला किया है। उल्लेखनीय है कि 7 अक्टूबर के बाद से लेबनान में 376 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से सबसे अधिक हिज्बुल्लाह के लड़ाके हैं और 70 आम नागरिक हैं। वहीं, इजराइल की तरफ से 10 जवान और 8 नागरिकों की मौत हो चुकी है और हिज्ल्बुल्लाह का इजराइल के साथ आखिरी बड़ा युद्ध 2006 में हुआ था।

इज़राइल से लड़ने के लिए बना है हिज़्बुल्लाह संगठन

हिज़्बुल्लाह (Hezbollah Lebanese Shia Islamist political party militant group) एक बहुत शक्तिशाली उग्रवादी समूह है,जो खुद को ‘अल्लाह की पार्टी’ कहता है और यह एक लेबनानी शिया इस्लामी राजनीतिक दल है, जिसका नेतृत्व 1992 से महासचिव हसन नसरुल्लाह (Hassan Nasrullah )ने किया है। हिज़्बुल्लाह की अर्धसैनिक शाखा जिहाद परिषद (Jihad Council) है, और इसकी राजनीतिक शाखा लेबनानी संसद में लॉयल्टी टू द रेसिस्टेंस ब्लॉक पार्टी (Loyalty to the Resistance Bloc party) है।

इज़राइली आक्रमण से लड़ने के लिए

हिज़्बुल्लाह की स्थापना लेबनानी मौलवियों ने मुख्य रूप से 1982 में लेबनान पर इज़राइली आक्रमण से लड़ने के लिए की गई थी। इसने 1979 में ईरानी क्रांति के बाद अयातुल्ला खुमैनी की ओर से निर्धारित मॉडल अपनाया और पार्टी के संस्थापकों ने खुमैनी की ओर से चुने गए नाम “हिज़्बुल्लाह” को अपनाया। तब से, ईरान और हिज़्बुल्लाह के बीच घनिष्ठ संबंध विकसित हुए हैं। यह संगठन 1,500 इस्लामिक रिवोल्युशनरी गार्ड कॉर्प्स (I R Gर C) प्रशिक्षकों के सहयोग से बनाया गया था और दक्षिणी लेबनान के पूर्व इजरायली कब्जे का विरोध करने के लिए विभिन्न प्रकार के लेबनानी शिया समूहों को एक एकीकृत संगठन में एकत्रित किया गया था।

लेबनानी गृह युद्ध के दौरान हिज़्बुल्लाह

लेबनानी गृह युद्ध (Civil War )के दौरान, हिज़्बुल्लाह के 1985 के घोषणा पत्र में अपने उद्देश्यों को “निश्चित रूप से लेबनान से अमरीकियों, फ्रांसीसी और उनके सहयोगियों के निष्कासन, हमारी भूमि पर किसी भी उपनिवेशवादी इकाई को समाप्त करने” के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। उसके बाद 1985 से 2000 तक, हिज़्बुल्लाह ने दक्षिणी लेबनान सेना ( S L A) और इज़राइल रक्षा बलों (I D F) के खिलाफ 1985-2000 दक्षिण लेबनान संघर्ष में भी भाग लिया था और सन 2006 के लेबनान युद्ध में आईडीएफ के साथ फिर से लड़ाई लड़ी थी। वहीं सन 1990 के दशक के दौरान, हिज़्बुल्लाह ने बोस्नियाई युद्ध के दौरान बोस्निया और हर्जेगोविना गणराज्य की सेना के लिए लड़ने के लिए स्वयंसेवकों को भी संगठित किया था।

सीरिया और इराक में तैनात किया

इस संगठन ने इज़राइल के विरुद्ध 2013 और 2015 के बीच इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने के लिए स्थानीय मलिशिया से लड़ने या प्रशिक्षित करने के लिए सीरिया और इराक दोनों में अपने मलिशिया को तैनात किया था। वहीं 2018 के लेबनानी आम चुनाव में, हिज़्बुल्लाह के पास 12 सीटें थीं और उसके गठबंधन ने लेबनान की संसद में 128 में से 70 सीटें हासिल कर के चुनाव जीता।

हिज़्बुल्लाह ने निरस्त्रीकरण नहीं किया

हिज़्बुल्लाह ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 का उल्लंघन करते हुए, दक्षिण लेबनान से इजराइल की वापसी के बाद निरस्त्रीकरण नहीं किया। वहीं 2006 से, समूह की सैन्य ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और इस हद तक कि इसकी अर्धसैनिक शाखा लेबनानी सेना से अधिक शक्तिशाली हो गई है। यही नहीं, हिज़्बुल्लाह को “एक राज्य के भीतर राज्य” के रूप में वर्णित किया गया है और यह लेबनानी सरकार में सीटों, एक रेडियो और एक उपग्रह टीवी स्टेशन, सामाजिक सेवाओं और लेबनान की सीमाओं से परे लड़ाकों की बड़े पैमाने पर सैन्य तैनाती के साथ एक संगठन के रूप में विकसित हुआ है।

ईरान से सैन्य प्रशिक्षण, हथियार और वित्तीय सहायता

इस समूह को वर्तमान में ईरान से सैन्य प्रशिक्षण, हथियार और वित्तीय सहायता और सीरिया से राजनीतिक समर्थन प्राप्त है। हालांकि सीरियाई युद्ध की सांप्रदायिक प्रकृति ने समूह की वैधता को नुकसान पहुंचाया है। नसरुल्ला के अनुसार इस समूह में 100,000 लड़ाके थे। पूरे संगठन या केवल इसकी सैन्य शाखा को कई देशों की ओर से आतंकवादी संगठन नामित किया गया है, जिसमें यूरोपीय संघ भी शामिल है और, 2017 से, अरब लीग (Arab League ) के अधिकतर सदस्य राज्यों की ओर से भी, दो अपवादों के साथ – लेबनान, जहां हिज़्बुल्लाह है, देश और इराक की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक पार्टियों में से एक है। रूस हिज़्बुल्लाह को एक “आतंकवादी संगठन” के रूप में नहीं, बल्कि एक “वैध सामाजिक-राजनीतिक ताकत” के रूप में देखता है।

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