जैसा कि हम जानते हैं कि दुनिया में जितने भी रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है, लगभग उन सभी के पीछे आध्यात्मिक कारणों के साथ कुछ वैज्ञानिक कारण भी होते हैं। भोजन ग्रहण करने से पहले जमीन पर पानी छिड़कने के पीछे भी यही दो कारण हैं। इनमें से सबसे पहले हम आध्यात्मिक कारण की बात करेंगे।
बता दें, ऐसा करके हमारे पूर्वज अन्न के प्रति सम्मान प्रकट करते थे। इसके अलावा शास्त्रों में इसकी वैज्ञानिक व्याख्या भी की गई है। उत्तर भारत में चित्र आहुति और दक्षिण भारत में परिसेशनम के नाम से जाने जाने वाले इस रीति के बारे में शास्त्रों में लिखा गया है कि अकसर जमीन पर धूल, मिट्टी इत्यादि गिरे हुए रहते हैं।
पहले के जमाने में घर अकसर मिट्टी के ही बने होते थे और लोग पत्तों पर भोजन रखकर उसे खाते थे। ऐसे में जल का छिड़काव करते है तो धूल उड़ नहीं पाती है। इससे हमें शुद्ध भोजन ग्रहण करने को मिलता है। इसीलिए भोजन से पहले थाली के आसपास जल का छिड़काव करना स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है।
भले ही आज के जमाने में हमारे घर पर हम डायनिंग टेबल पर बैठकर खाते है लेकिन बावजूद इसके अगर हम भी अपने बड़ों को देखकर ऐसा करें तो ये सारी चीजें हमें हमारी परंपराओं और रिवाजों से जोड़कर रखेगी। इसके साथ ही इससे दिल को एक अलग ही सुकून मिलता है।