सुषमा स्वराज का दूसरा कार्यकाल पूरा होने को है, लेकिन बड़ी उपलब्धियों में देखा जाए तो रेलवे कारखाना और सौराई रैक पाइंट दोनों ही शुरू नहीं हो सके। जहां रेलवे कारखाने को पीपीपी मोड पर चलाने की योजना में कोई भी कंपनी आगे नहीं आ सकी है, वहीं सौराई रैक पाइंट भी अभी शुरू नहीं हो सका है। यहां रैक पाइंट तो लगभग बन चुका है, लेकिन वहां शेड तक नहीं है, ऐसे में व्यापारी कैसे अपने सीमेंट, अनाज तथा अन्य सामान को उतारने पर राजी हो सकेंगे।
रेलवे की मानें तो प्रस्ताव में शेड का जिक्र ही नहीं था। जो भी है, सिर्फ नाम के लिए निर्माण करा देने से न क्षेत्र का लाभ हुआ है और न यहां के लोगों को कुछ राहत मिली है। बेहतर होता यदि अपने कार्यकाल के आखरी समय में ही सुषमा स्वराज ने विदिशा के विकास में रुचि ले ली होती तो अब तक कारखाना भी शुरू हो चुका होता और बेहतर निर्माण के साथ रैक पाइंट भी विदिशा से सौराई में शिफ्ट हो चुका होता। लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही काम अधूरे रह गए। अब उम्मीद भी न के बराबर है कि लोकसभा चुनाव से पहले इन दोनों काम लोकार्पित हो सकेंगे।
-14मार्च 2012 के रेल बजट में हुई थी घोषणा।
-26 मई 2015 में हुआ था शिलान्यास।
-2016 में राइट्स कंपनी ने शुरू किया था काम।
-10 बीघा क्षेत्र में बनना था, अभी इसमें सिर्फ ढांचा ही बन सका है।
– 30 करोड़ रुपए की लागत से हुआ है काम।
– 5 करोड़ रुपए केवल पहाड़ काटकर जमीन समतल करने में ही लगे।
-10 करोड़ से बना है कारखाने का शेड।
– 13 करोड़ की लागत से हुआ भवन, सड़क, नल और अन्य सिविल कार्य