scriptपति की लम्बी उम्र के लिए ऐसे करें वट सावित्री की पूजा, ये है शुभ मुहुर्त | Vat Savitri Vrat Puja Vidhi Shubh Muhurat Auspicious Time Date in hind | Patrika News
वाराणसी

पति की लम्बी उम्र के लिए ऐसे करें वट सावित्री की पूजा, ये है शुभ मुहुर्त

हिंदू विवाहित महिलाएं अपने सास-ससुर एवं पति की लम्बी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत को मानतीं हैं

वाराणसीMay 27, 2019 / 11:48 am

sarveshwari Mishra

Vat Savitri Puja

Vat Savitri Puja

वाराणसी. हर साल की तरह इस साल भी महिलाओं का व्रत वट सावित्री आ रहा है। यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को पड़ती है। इस बार वट सावित्री का व्रत तीन जून यानी सोमवार को पड़ रहा है। यह व्रत महिलाओं के अखण्ड सौभाग्य के लिए होता है। वहीं हिंदू विवाहित महिलाएं अपने सास-ससुर एवं पति की लम्बी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत को मानतीं हैं। वैसे तो फेरी कभी भी लगाया जा सकता है लेकिन यह मूहुर्त के हिसाब से किया जाय तो इसका फल बहुत शुभ होता है। इस बार जो भी महिलाएं वट सावित्री का व्रत रख रही हैं, उनके लिए महूर्त का जानना बहुत जरुरी है। बता दें कि 2 जून को 4:39 बजे से अमावस्या की तिथि की शुरूआत हो जाएगी और 3 जून को 3:31 मिनट पर अमावस्या की तिथि खत्म हो जाएगी। इस दिन महिलाओं को सुबह उठकर स्नान आदि करके शुद्ध हो जाना चाहिए, उसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनकर सोलह श्रृंगार करना चाहिए।

ऐसे करें पूजा
एक टोकरी में पूजन की सारी सामग्री रखकर वट वृक्ष के पास जाएं। फिर वहां सफाई करके सामग्री को रखना चाहिए और एक स्थान पर बैठ जाना चाहिए। उसके बाद सबसे पहले सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों को स्थापित करना चाहिए। उसके बाद धूप, दीप, रोली भिगोए चने, सिंदूर आदि सामग्री से वट सावित्री का पूजन करना चाहिए। इस दिन महिलाएं पंडित जी से कथा सुनती हैं। इसके अलावा पट के वृक्ष में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 बार धागा लपेटते हुए फेरे लेती है।
वट सावित्री व्रत कथा
मद्र देश के राजा अश्वपति ने अपनी पत्नी के साथ सावित्री देवी का विधिपूर्वक व्रत रखा था, जिसके बाद उन्हें पुत्री की प्रप्ति हुई थी। राज ने अपनी पुत्री का नाम भी सावित्री रखी, सावित्री जब बड़ी हुईं तो अश्वपति ने उन्हें अपने मंत्री के साथ वर को चुनने के लिए भेजा. सावित्री ने जैसे ही सत्यवान को अपने वर के रुप में चुना देवर्षि नारद ने सबको बता दिया कि विवाद के 12 साल बाद सत्यवान की मृत्यु को जाएगी। इसे जानने के बाद अश्वपति ने अपनी पुत्री को दूसरा वर चुनने के लिए कहा, लेकिन सावित्री नहीं मानी. सावित्री को नारद जी से अपने पति के मृत्यु का समय पता चल गया, जिसके बाद वो अपने पति और सास, ससुर के साथ वन में रहने लगीं. सावित्री ने नारद जी के बताए दिन से कुछ समय पहले से व्रत रखना शुरू कर दिया. उसके बाद जब सावित्री के पति को यमराज लेने आए तो वो उनके पीछे चलने लगीं, जिसके बाद यमराज ने सावित्री की निष्ठा से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने के लिए कहा. सावित्री ने सबसे पहले वर में अपने अंधे सास-ससुर की आंखो की रोशनी मांगते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की. उसके बाद भी सावित्री यमराज के पीछे चलती रहीं दूसरे वर में सावित्री ने यमराज से अपने पति का छूटा राज पाठ मांगा. आखिर में सावित्री ने यमराज से सौ पुत्रों का वरदान मांगा, जिसके बाद यमराज ने उनके पति के प्राण को वापस लौटा दिया।

Home / Varanasi / पति की लम्बी उम्र के लिए ऐसे करें वट सावित्री की पूजा, ये है शुभ मुहुर्त

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो