विजय ने रूंगटा से कहा, चलो विधायक जी ने मिलने के लिए बुलाया है। विधायक यानी मुख्तार अंसारी। इसके बाद रूंगटा को सफेद रंग की मारुति स्टीम कार में बिठाकर ले गया। रात करीब दस बजे रूंगटा के घर फोन की घंटी बजी। फोन रूंगटा के बेटे नवीन नवीन ने उठाया। सामने से आवाज आई- राजू बोल रहा हूं। तुम्हारे बाप को किडनैप कर लिया है।
30 जनवरी को जब कॉल आई तो गहमागहमी हुई। क्योंकि महावीर मानने को तैयार नहीं थे कि उनके भाई जिंदा हैं भी या नहीं। तब 11 फरवरी को इन्हें सबूत दिया गया। असल में अपहरण करने वालों को सब पता था। उन्होंने रूंगटा के पड़ोसी पितांबर अग्रवाल को फोन किया। फोन पर बोला कि जीटी रोड पर मुगलसराय के करीब 35 किलोमीटर स्थित माइल स्टोन है। इस पर सासाराम 82 किलोमीटर लिखा है उस पर एक पैकेट रखा है। उसे ले आओ। रूंगटा के भाई और सहयोगी अब्दुल सत्तार के साथ वहां गए और पैकेट ले आए। उसमें एक वीडियो कैसेट और एक लेटर था।
16 फरवरी को महावीर प्रसाद रूंगटा अपने दोस्त अशोक अग्रवाल के साथ तीन सूटकेस में पैसे लेकर गए। हालांकि उनके पास एक करोड़ 25 लाख रुपये ही थे। उन्होंने आनंद लोक के कमरा संख्या 203 में कमरा लिया। वहां से रिक्शे से कीर्ति रोड पहुंचे। एक मारुति कार संख्या बीआरआई 2146 आई। वहां प्रभविंदर सिंह उर्फ डिम्पी समेत तीन लोगों थे। वे सूटकेस लेकर चले गए। कहा कि एक दिन बाद नंद किशोरू रूंगटा आ जाएंगे। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार नंद किशोर रूंगटा को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में ही किराए के घर में रखा गया था। जब बात आई नंद किशोर को वापस देने कि वापस करने की बजाए उनकी हत्या कर दी गई थी।
इस अपहरण कांड में दिल्ली का जितेंद्र कुमार नाम का शख्स शामिल होता है। असल में वो दिल्ली में मिरांशु इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी में सेल्स आफिसर था। इसी ने फिरौती के लिए फोन काल किया था। इसी ने लेटर लिखा था। असल में इसकी मुलाकात तिहाड़ जेल में 1994 में मुख्तार अंसारी और अताउर्रहमान से हुई थी।