सरकार बदलने के साथ निषाद बल्ला आदि का हुआ शोषण उन्होंने कहा कि अध्यादेश के बाद धीरे-धीरे सरकारे बदली। पहले सपा की सरकार आई फिर बसपा की। बीच में भाजपा भी सत्ता में आई। सन 1995 में हुए अध्यादेश को बदलने का कार्य किया और सभी वर्गों के लिए पट्टा, मोरंग, बालू का खनन खोल दिया। पिछले सपा शासनकाल के दौरान एक और अध्यादेश आया कि जिस गांव में निषाद मल्लाह, कोरिया, आदि वर्ग के लोग नहीं होंगे तो सामान्य वर्ग के लिए क्षेत्र खोल दिया जाए। यही स्थिति पट्टे में भी लागू की गई। गांव का तालाब, पट्टा, मल्लाह, निषाद आदि वर्ग के लोगों को दिया जाता था। यदि उस गांव में उस वर्ग का कोई नहीं शामिल है तो दूसरे न्याय पंचायत से लोग को पट्टा दिया जाएगा और यदि न्याय पंचायत स्तर पर भी इस समाज का कोई व्यक्ति नहीं है तो ब्लॉक स्तर पर उस व्यक्ति का चयन कर पट्टा कर दिया जाता था।
सपा सरकार के शासनकाल में आया अध्यादेश ने बढ़ाया बेरोजगारी कैलाश निषाद ने कहा कि दिसंबर 2016 में समाजवादी की पार्टी की सरकार ने शासनादेश जारी कर बताया कि जिस गांव में तालाब का पट्टा है उस गांव में निषाद, मल्लाह आदि वर्ग के लोग नहीं रहते हैं तो वहां दूसरी जाति का चाहे जनरल हो या ओबीसी को पट्टा आवंटित कर दिया जाएगा। इसके लागू हो जाने हमारे समाज को काफी नुकसान हो रहा है। हमारा समाज बेरोजगार होता चला जा रहा है। इसका हमारा संगठन विरोध करता है। एक बार फिर से निषाद मल्लाह कोरिया आदि जातियों को परिभाषित कर के इन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाए। उन्होंने बताया कि अपनी मांग को लेकर भारतीय निषाद संघ पूरे प्रदेश में एक जन जन जागरण यात्रा निकालने जा रही है। इस मौके पर इस बात की चर्चा होगी कि किस पार्टी ने हमें क्या दिया है।