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कुलपति का इस्तीफा : कर्मचारी इतने खुश कि खूब फोड़े पटाखे, बजवाए ढोल

जांच पर आदेश जारी होने से पहले कुलपति ने थमाया इस्तीफा, हाइकोर्ट में किताब खरीदी व निजी कॉलेजों में नियुक्ति की शिकायतों की जांच पर देना है जवाब, 11 फरवरी को सुनवाई

उज्जैनFeb 08, 2019 / 10:23 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में हुई किताब खरीदी और निजी कॉलेजों में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया की जांच हाइकोर्ट आदेश पर पूरी हुई। उक्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर अंतिम आदेश निकालने की प्रकिया जारी थी, लेकिन इससे पहले कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे ने इस्तीफा दे दिया। प्रकरण की अगली सुनवाई 11 फरवरी होनी है। इस दिन प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग को सभी शिकायतों का निराकरण कर अंतिम आदेश प्रस्तुत करना है। बता दें, कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे का कार्यकाल 30 मई को पूरा होने वाला था। कुलपति का करीब चार साल का कार्यकाल पूरी तरह से विवादों में रहा।

हाइकोर्ट की जांच में उलझे कुलपति

इंदौर हाइकोर्ट में अवमानना प्रकरण की सुनवाई के दौरान विवि की शिकायतों के संबंध में जांच कर अंतिम आदेश जारी करने की बात कही। न्यायालय के आदेश के अनुसार 21 जनवरी तक आदेश जारी होना था। इसके बाद प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग ने जांच की। जांच प्रतिवेदन राजभवन को प्रस्तुत कर दिया। इस जांच के आधार पर अंतिम आदेश जारी होना था, लेकिन आदेश जारी होने से पहले कुलपति ने इस्तीफा थमा दिया। बता दें अध्यादेश की धारा 14 के तहत कुलपति को नोटिस मिला था। उक्त नोटिस का आशय होता है कि जांच प्रतिवेदन में कुलपति के द्वारा अध्यादेश का पालन नहीं करना प्रतीत हुआ है। उक्त सूचना के बाद कभी भी कुलपति को पदमुक्त किया जा सकता है।

विवादों में रहा कुलपति का कार्यकाल

विक्रम विवि के कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे का कार्यकाल काफी विवादित रहा। किसी भी निर्णय पर उनका अडि़यल रवैया विवाद को बढ़ाता था। इसके अलावा ऑनलाइन फीस जमा करने की लिंक, फर्जी चालान कांड, कुलपति के भाई अरुण पाण्डे का पीएचडी निदेशक बनना, परीक्षा संबंधी प्रक्रिया में धांधली, प्राचीन भारतीय इतिहास अध्ययनशाला में आग, सांसद चिंतामणि मालवीय से खुला विवाद और एबीवीपी के नेताओं को खुली मदद करना शामिल है। कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्बुद्धे की महाकाल मंदिर में पूजा करवाते हुए नजर आए तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यालय के भूमिपूजन में हाथ जोड़े बैठे हुए उनकी फोटो भी काफी वायरल हुई।

पत्रिका ने उजगार किए थे मामले

विक्रम विवि में किताब खरीदी अनियमिताओं को पत्रिका ने उजागर किया। यह मामला नवंबर 2016 में पत्रिका की पड़ताल में सामने आया। इसी के साथ अगस्त 2017 में आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में हुई धारा 28 कोड के तहत शिक्षक नियुक्ति का मामला सामने आया। कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे सभी धांधली और गड़बड़ी को सिरे से नकारते रहे। इसी के साथ राजनीतिक सरंक्षण से जांच को भी टालते रहे। मार्च 2018 में उक्त शिकायतों के आधार पर इंदौर हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। इस याचिका आधार पत्रिका की खबर रही। इसके बाद न्यायालय ने जुलाई 2018 में 30 दिन में जांच के आदेश दिए। उक्त फैसले के बाद भी जांच नहीं हुई। प्रकरण पर अवमानना याचिका दायर हुई। इसके बाद प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग ने जांच प्रक्रिया पूर्ण की।

चचाओं में रहे कुलपति

-विक्रम विवि के गोपनीय विभाग में रहस्यमय ढंग से आग लग गई। यह आग तब लगी। जब विवि से लगातार उत्तरपुस्तिका गायब हो रही थी। इन शिकायत की जांच भी हो रही थी। इसी बीच आग लगी।

-विवि में एनएसयूआई के प्रदेश महामंत्री प्रीतेश शर्मा व जिलाध्यक्ष अंबर माथुर के साथ पुलिस ने बर्बरता पूर्वक मारपीट की। उक्त मामले में कुलपति सवालों के घेरे में आए, क्योंकि दोनों की पिटाई अकारण हुई। वह जन्मदिन मना रहे थे।

– कुलपति महिलाओं से विवाद के चलते चर्चाओं में रहे। वह युवा उत्सव के मंच तक पर महिला टीम मैनेजर से भिड़ गए। इसी तरह दीक्षांत के मंच पर एक कर्मचारी को डांटते हुए नजर आए। विवि की तीन महिला अधिकारियों ने मिलकर कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोला। इसके बाद तीनों का तबादला हुआ।

– विक्रम विवि के कुलपति की डांट फटकार के चलते आधा दर्जन अधिकारी व कर्मचारियों का ब्लड प्रेशर प्रशासनिक भवन में बिगड़ा। करीब तीन लोग तो माधव भवन से सीधे अस्पताल पहुंचे। इसमें पूर्व कुलसचिव सुभाषचंद्र आर्य तक शामिल हैं।

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