शिप्रा नदी को स्वच्छ रखने के लिए सिंहस्थ से पहले सभी ११ नालों को रोकने की कवायद की गई थी। हाइकोर्ट खंडपीठ इंदौर में भी निगम की ओर से प्रतिवेदन सौंपा गया था कि अब कोई भी नाले नदी में नहीं मिल रहे हैं हालांकि सिंहस्थ में रुके यह नाले सिंहस्थ बाद फिर से नदी में मिलना शुरू हो गए थे। इस पर इंदौर हाइकोर्ट में दोबारा से अवमानना याचिका लगाई गई थी। उस समय निगम ने कोर्ट में दावा किया गया था कि कोई भी नाला शिप्रा में नहीं मिल रहा है। अब निगम का यह दावा झूठा साबित हो रहा है। ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर के पास से गंदा नाला शिप्रा नदी में मिल रहा है। इस नाले से पुराने शहर की गंदगी पहुंचती है और इसी का पानी शिप्रा में पहुंच रहा है। हालांकि यहां पर गंदा पानी शिप्रा में नहीं मिले इसके लिए बोरी बंधान किया हुआ है लेकिन इसमें से भी पानी रिसकर नदी में जा रहा है, जबकि यहां पर नाले को रोकने के लिए स्थायी व्यवस्था की जाना चाहिए थी किंतु ऐसा नहीं किया गया। लिहाजा शिप्रा में नाला मिलना जा रही है।
कचरा, बदबू से बेहाल नदी
ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर के पास जहां से नाला मिल रहा है वहां नदी की हालत बेहाल है। नाले के पानी से बदबू उठ रही है तो आसपास गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। ऋणमुक्तेश्वर महादेव आने वाले लोग बता रहे हैं कि नाले को लेकर कई बार शिकायत हो चुकी है, लेकिन निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। नदी की इस हालत से श्रद्धालुओं की आस्था भी प्रभावित हो रही है।