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उज्जैन

निदेशक सहमति पत्र ने बढ़ाई समस्या, परीक्षा पास करने के बाद भी प्रवेश का संकट

नियम के अनुसार आरएसी में लेकर पहुंचाना है सहमति पत्र

उज्जैनOct 19, 2018 / 06:58 pm

Lalit Saxena

patrika

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय की पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2018 सम्पन्न हो चुकी है। इस परीक्षा में पास होने वाले विद्यार्थी आगे के चयन के लिए आरएसी (शोध सलाहकार समिति) के समक्ष अपनी योग्यता का प्रदर्शन करेंगे, लेकिन आरएसी की बैठक से पहले ही विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया है। दरअसल, नए नियमों के अनुसार विद्यार्थिायों को आरएसी के समक्ष साक्षात्कार के साथ ही शोध का विषय, प्रारूप और शोध निदेशक की सहमति पत्र लेकर आना है। अब जो विद्यार्थी उज्जैन परिक्षेत्र से ताल्लुक नहीं रखते है। उन्हें शोध निदेशक से सहमति लाने में परेशानी हो रही है। परीक्षा में पास होने वाले विद्यार्थी विभाग में फोन लगा रहे है, लेकिन विभागाध्यक्ष के सामने भी समस्या है कि वह किस प्राध्यापक से अनुशंसा नहीं कर सकते है।

सहमति पत्र नहीं होने पर प्रवेश नहीं

पीएचडी प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद अगर विद्यार्थी निदेशक की सहमति पत्र प्राप्त नहीं कर पाता है। तो वह प्रवेश से वंचित रह जाएगा। विवि में करीब 20 विषयों में परीक्षा हुई। सभी में सीट संख्या कम है और पास होने वालों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में शोध निदेशक पर भी दबाव है। अगर वह दो विद्यार्थियों को अनुमति पत्र दे देता है। तो आरएसी वाले दिन उसे एक को चुनना होगा।

अर्थशास्त्र में हो गई प्री-आरएसी

विक्रम विवि में अध्यादेश से ज्यादा अधिकारियों के नियम लागू है। पीएचडी प्रवेश परीक्षा अध्यादेश के अनुसार प्रवेश परीक्षा के बाद आरएसी की प्रक्रिया होती है, लेकिन विवि के अर्थशास्त्र विभाग ने प्री-आरएसी ही कर डाली। विवि ने परीक्षा वाले दिन आरएसी की घोषित तारीख 22 अक्टूबर निर्धारित की थी, लेकिन तीन दिन पूर्व विभाग में सभी पीएचडी के दावेदारों को बुला लिया गया। इस दौरान विभागाध्यक्ष तपन चौरे ने सभी का लंबा साक्षात्कार दिया। इस दौरान रीडर एसके मिश्रा व संग्राम भूषण भी मौजूद रहे, लेकिन आरएसी से पहले सभी के साथ बैठक करने वाला नियम कोई बताने को तैयार नहीं है। बता दे कि आरएसी प्रवेश प्रक्रिया का हिस्सा है। इस साक्षात्कार के आधार पर ही पास विद्यार्थियों की मेरिट बनती है।

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